बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में नया ताप तब आया जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी समुदाय को लेकर बड़ा बयान दिया। मुंबई में आयोजित कोकण महोत्सव के दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अगर मराठी मतदाता इस बार सावधान नहीं रहे तो “बीएमसी चुनाव मराठी लोगों के लिए आख़िरी साबित हो सकता है।” उनके अनुसार आज की स्थिति ऐसी है कि यदि मुंबई किसी और नियंत्रण में चली गई तो शहर की सांस्कृतिक पहचान, राजनीतिक स्वरूप और मराठी समाज का महत्व कमज़ोर हो जाएगा। राज ठाकरे ने इसे सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि “मुंबई की आत्मा की रक्षा” का समय बताया।
अपने भाषण में उन्होंने विशेष रूप से मतदाता सूची में हो रही कथित अनियमितताओं का मुद्दा उठाया। ठाकरे का आरोप था कि विभिन्न वार्डों में बड़ी संख्या में संदिग्ध या फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं, जिससे वास्तविक मराठी मतदाता अपने ही शहर में संख्या के लिहाज़ से पीछे धकेले जा सकते हैं। उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे मतदाता सूची की हर एंट्री की जांच करें, बूथों पर नजर रखें और यह सुनिश्चित करें कि “नकली वोटर” मतदान प्रक्रिया को प्रभावित न कर पाएँ। उन्होंने जनता से भी आग्रह किया कि वे मतदान दिवस तक पूरी प्रक्रिया को गंभीरता से लें और सतर्क रहें।
राज ठाकरे ने अपने बयान में यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल और समूह ऐसे हैं जो मुंबई की जनसांख्यिकी के बदलते स्वरूप का फायदा उठाकर सत्ता हासिल करना चाहते हैं। उनके मुताबिक यदि मुंबई मराठी नियंत्रण से बाहर हुई तो “जो लोग शहर की मौलिकता को समझते भी नहीं” वे इसके भविष्य का फैसला करने लगेंगे। उन्होंने इसे एक संभावित सांस्कृतिक खतरे के रूप में पेश किया और कहा कि मुंबई की भाषा, परंपरा और स्थानीय अधिकारों की रक्षा तभी संभव है जब मराठी वोटर जागरूक होकर मतदान करें।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनसे इस चुनाव को अपने अस्तित्व और प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण मान रही है। दूसरी ओर, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट), बीजेपी और कांग्रेस पहले ही अपने-अपने अभियान तेज़ कर चुके हैं। ऐसे में राज ठाकरे का यह बयान मराठी वोटरों में भावनात्मक जुड़ाव और सक्रियता बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बीएमसी पर नियंत्रण पारंपरिक रूप से शिवसेना के पास रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुंबई की राजनीति में बड़े बदलाव आए हैं। इसलिए आगामी चुनाव सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
इसी पृष्ठभूमि में राज ठाकरे की चेतावनी चुनावी माहौल में नया मोड़ लेकर आई है। उन्होंने कहा कि यदि मराठी समाज ने एकजुट होकर मतदान नहीं किया तो भविष्य में उन्हें अपने ही शहर में बाजू पर खड़ा कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मनसे न केवल राजनीति, बल्कि मुंबई की स्थानीय पहचान, जीवनशैली और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेगी। उनके इस वक्तव्य के बाद चुनावी हलकों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह बयान मराठी वोटों का ध्रुवीकरण करेगा या विपक्षी दल इसे पलटकर मनसे पर ही हमला करेंगे।
बीएमसी चुनाव की तारीखों की घोषणा भले अभी बाकी हो, लेकिन राजनीतिक दलों की सक्रियता और आरोप-प्रत्यारोप ने माहौल को पहले ही गर्म कर दिया है। राज ठाकरे के इस बयान ने मराठी मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है, और आने वाले दिनों में इसका चुनावी प्रभाव साफ दिखाई देने की संभावना है।












