G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और कनाडा ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने का संकल्प दोहराया। जोहान्सबर्ग में हुई उच्च-स्तरीय बैठक में दोनों देशों ने स्वीकार किया कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में मजबूत आर्थिक साझेदारी न केवल आपसी हितों को बढ़ाती है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य से दोनों पक्षों ने यह लक्ष्य तय किया कि वर्ष 2030 तक भारत–कनाडा द्विपक्षीय व्यापार को लगभग 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाया जाएगा। भारतीय मुद्रा में यह स्तर पाँच लाख करोड़ रुपये से अधिक बैठता है, जो वर्तमान व्यापार आंकड़ों की तुलना में काफी महत्वाकांक्षी है और दोनों देशों की दीर्घकालिक रणनीतिक सोच को दर्शाता है।
बैठक के दौरान व्यापार को गति देने के लिए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) की वार्ताओं को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। पिछले कुछ वर्षों में बातचीत में आई रुकावटों के बावजूद दोनों देशों ने माना कि एक विस्तृत व्यापार समझौता शुल्क ढांचे को सरल बनाने, सेवाओं एवं निवेश के प्रवाह को सहज करने और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए अनिवार्य है। CEPA का पुनरारंभ दोनों देशों की आर्थिक नीतियों में एक सकारात्मक मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि इससे फार्मा, कृषि उत्पाद, खनन, ऊर्जा, शिक्षा, डिजिटल सेवाओं और रक्षा जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक साझेदारी मजबूत हो सकती है।
बैठक में यह भी स्पष्ट हुआ कि बढ़ते वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच कनाडा भारत को एक प्रमुख उभरते बाजार के रूप में देखता है। कनाडाई पेंशन फंड और संस्थागत निवेशक पहले ही भारतीय अवसंरचना और डिजिटल क्षेत्रों में उल्लेखनीय निवेश कर चुके हैं। अब दोनों सरकारें इस निवेश को और अधिक सुदृढ़ और सुरक्षित बनाने के लिए एक बेहतर नियामक ढांचा तैयार करने पर काम करेंगी। भारत ने भी स्वच्छ ऊर्जा, खनिज, अंतरिक्ष तकनीक, रक्षा विनिर्माण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्रों में कनाडा के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है। इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने से भारतीय उद्योगों को तकनीक और पूंजी, तथा कनाडा को उभरते बाजारों तक व्यापक पहुंच मिल सकती है।
इन चर्चाओं का विशेष महत्व इस कारण भी है कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच कुछ राजनयिक मुद्दों के कारण संबंध थोड़े तनावपूर्ण रहे थे। ऐसे में G20 बैठक में हुआ यह संवाद संबंधों में सकारात्मक बदलाव का संकेत देता है। दोनों देशों ने माना कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और तकनीकी विकास को साझा करने के लिए भारत और कनाडा को मिलकर काम करना होगा। इस सहयोग से न केवल व्यापारिक और आर्थिक लाभ होंगे, बल्कि लोग-से-लोग संपर्क और सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत हो सकते हैं।
समग्र रूप से देखा जाए तो 2030 तक व्यापार को दोगुने से भी अधिक स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य दोनों देशों के लिए महत्वाकांक्षी जरूर है, लेकिन व्यापार वार्ताओं का पुनरारंभ, निवेश को प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में तालमेल और राजनयिक संबंधों का सामान्यीकरण इस दिशा में मजबूत संकेत देते हैं। आगामी महीनों में दोनों देशों की व्यापार टीमें CEPA वार्ताओं को आगे बढ़ाने और रोडमैप तय करने पर काम करेंगी। यदि योजनाएं तय समय पर आगे बढ़ती हैं, तो भारत–कनाडा संबंध आने वाले वर्षों में आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी दृष्टि से नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।












