थरूर का बड़ा बयान: मोदी ने पेश की भारत को वैश्विक मॉडल बनाने वाली दृष्टि

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कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ लेखक शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया रामनाथ गोयनका व्याख्यान की खुले दिल से प्रशंसा की है। थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री का संबोधन आज के भारत की वैश्विक छवि, उसकी सांस्कृतिक जड़ों और भविष्य की आर्थिक दिशा—तीनों पहलुओं पर एक व्यापक दृष्टि प्रस्तुत करता है। उनके अनुसार, मोदी ने अपने भाषण में यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब केवल एक ‘उभरती हुई अर्थव्यवस्था’ नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक ‘उभरता हुआ मॉडल’ बन रहा है, जिसने विकास और सांस्कृतिक आत्मविश्वास को साथ लेकर आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया है।

थरूर ने खास तौर पर प्रधानमंत्री के उस हिस्से की सराहना की जिसमें उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता और ‘गुलामी की सोच’ से पूरी तरह बाहर निकलने की बात की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी द्वारा भारतीय भाषाओं, स्थानीय ज्ञान, सांस्कृतिक विरासत और परम्पराओं को पुनर्जीवित करने के लिए 10 साल के मिशन की अपील एक सकारात्मक पहल है, जो देश के बौद्धिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। थरूर ने इसे राष्ट्र में आत्मविश्वास बढ़ाने वाला विचार बताया और कहा कि यह दृष्टिकोण न केवल विकास की दिशा तय करता है, बल्कि भारत की अलग पहचान को भी मजबूती देता है।

कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे शशि थरूर ने यह टिप्पणी व्याख्यान के तुरंत बाद साझा की, जिसके बाद उनकी प्रतिक्रिया मीडिया में चर्चा का विषय बन गई। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस के भीतर संभावित मतभेदों की ओर संकेत बताया, हालांकि थरूर ने अपने वक्तव्य में इसे पूरी तरह वैचारिक स्तर पर दिया गया समर्थन बताया और किसी राजनीतिक वाद-विवाद से अलग रखा। उन्होंने यह भी कहा कि देशहित के मुद्दों पर सकारात्मक विचारों को स्वीकारने में संकोच नहीं होना चाहिए।

कुल मिलाकर, शशि थरूर की यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री के भाषण ने विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के बीच भी एक सार्थक संवाद की संभावना पैदा की है। साथ ही, इसने भारत की वैश्विक भूमिका, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और नेतृत्व क्षमता पर एक नई राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया है।

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