महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार का दिन हलचल भरा रहा, जब राज्य की साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में शिवसेना (शिंदे गुट) के कई मंत्री अचानक अनुपस्थित रहे। बैठक से कुछ ही घंटे पहले आयोजित प्री-कैबिनेट चर्चा में सभी मंत्री मौजूद थे, लेकिन मुख्य बैठक में आते-आते केवल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही सरकारी टेबल पर दिखाई दिए। उनकी टीम के प्रमुख मंत्रियों का इस तरह गैरहाजिर रहना महायुति सरकार के भीतर संभावित मतभेदों की ओर इशारा करता है, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगने लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार, शिंदे गुट के मंत्रियों की नाराज़गी पिछले कुछ दिनों से बढ़ी हुई बताई जा रही है। माना जा रहा है कि कुछ विभागीय फैसलों, ज़मीनी स्तर पर भाजपा नेतृत्व के हस्तक्षेप और आगामी निकाय चुनावों में टिकट वितरण को लेकर असंतोष की स्थिति बनी हुई है। हालांकि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं ने गठबंधन में किसी बड़े तनाव से इनकार किया है, लेकिन लगातार सामने आती घटनाओं ने राजनीतिक तापमान को अवश्य बढ़ा दिया है।
बैठक के बाद यह भी जानकारी सामने आई कि शिंदे गुट के कुछ मंत्री मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय पहुंचे, जहां दोनों पक्षों के बीच लंबी बातचीत हुई। इसे नुकसान नियंत्रण की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, ताकि गठबंधन की छवि पर विपरीत असर न पड़े। इसके बावजूद, तमाम राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह अनुपस्थिति महज एक संयोग नहीं, बल्कि अंदर ही अंदर पनप रहे असंतोष का संकेत है, जिसे आगामी चुनावी दौर से पहले हल करना दोनों दलों के लिए अनिवार्य होगा।
पिछले महीनों में भी कई बार एकनाथ शिंदे और भाजपा नेतृत्व की संयुक्त बैठकों और कार्यक्रमों में दूरी बढ़ने की चर्चा सामने आती रही है। कभी बैठक कैंसिल होने, कभी अचानक कार्यक्रम बदलने और कभी प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति जैसी घटनाओं ने महायुति की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं। अब कैबिनेट बैठक में शिंदे गुट की अचानक गैरहाज़िरी ने इन अटकलों को और मजबूत किया है कि गठबंधन के भीतर सब कुछ उतना सहज नहीं जितना सार्वजनिक मंचों पर कहा जा रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव नज़दीक हैं, ऐसे में भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) दोनों के लिए यह बेहद संवेदनशील समय है। यदि ऐसी घटनाएँ जारी रहीं तो विपक्ष को मुद्दा मिल सकता है और गठबंधन के कोर वोट बैंक पर भी असर पड़ सकता है। फिलहाल दोनों दल स्थिति को सामान्य बताने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भीतर की हलचल आगामी दिनों में और बड़े राजनीतिक संकेत दे सकती है।













