उत्तर प्रदेश: बुजुर्गों को घर बैठे मिलेगी वृद्धावस्था पेंशन — कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव

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उत्तर प्रदेश सरकार बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ अधिक आसान तरीके से उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार की नई पहल के तहत वृद्धावस्था पेंशन योजना में ऐसे संशोधन प्रस्तावित हैं, जिनके बाद 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पात्र नागरिकों को पेंशन के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। कैबिनेट की प्रस्तावित बैठक में समाज कल्याण विभाग द्वारा पेश किए जाने वाले इस प्रस्ताव का उद्देश्य पेंशन प्रक्रिया को पूरी तरह सरल, पारदर्शी और घर-आधारित बनाना है। योजना के अनुसार विभाग अपने रिकॉर्ड और Family ID आधारित डेटा के जरिए ऐसे नागरिकों की पहचान करेगा जिनकी आयु पेंशन के मानकों तक पहुंच चुकी है। इसके बाद संबंधित अधिकारियों द्वारा स्वयं लाभार्थियों से फोन पर संपर्क करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि व्यक्ति पेंशन लेना चाहता है या नहीं। उनकी सहमति मिलने पर आवश्यक औपचारिकताएँ सरल डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से पूरी कर दी जाएँगी और पेंशन सीधे उनके बैंक खातों में भेज दी जाएगी।

यह प्रस्ताव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी तक पेंशन के लिए बुजुर्गों को तहसीलों, ब्लॉक कार्यालयों या समाज कल्याण विभाग के केंद्रों तक जाना पड़ता था। कई वरिष्ठ नागरिक, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले, दस्तावेज़ी दिक्कतों, स्वास्थ्य समस्याओं और परिवहन की कमी के कारण पेंशन से वंचित रह जाते थे। नई व्यवस्था का लक्ष्य इन्हीं समस्याओं का समाधान करना है ताकि पात्र बुजुर्ग बिना किसी परेशानी के पेंशन के दायरे में स्वतः आ जाएँ। राज्य सरकार का मानना है कि Family ID और डिजिटल डेटाबेस के उपयोग से पात्र लोगों की पहचान पहले की तुलना में अधिक सटीक और तेज़ी से की जा सकती है। इस परिवर्तन के बाद पेंशन की प्रक्रिया ‘घर पहुँच सेवा’ की तरह काम करेगी, जिसमें लाभार्थी को केवल अपनी सहमति देनी होगी और बाकी सभी प्रशासनिक कदम स्वतः पूरे हो जाएंगे।

राज्य में वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार का लक्ष्य इस वर्ष लगभग 67.50 लाख वृद्धजनों तक पेंशन पहुंचाना है। पिछले कुछ वर्षों में योजना के कवरेज का विस्तार करने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए हैं और अब डिजिटल पहचान व पारिवारिक डेटाबेस का उपयोग करके इसे और प्रभावी बनाने की तैयारी चल रही है। हालांकि, डेटा सत्यापन, बैंक खातों की सक्रियता, मोबाइल नंबरों का मिलान और दूरस्थ इलाकों में डिजिटल पहुँच जैसी चुनौतियाँ अभी भी सामने हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विभिन्न सरकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय और जिलास्तर पर लक्षित अभियान चलाकर इन चुनौतियों को हल किया जा सकता है।

कैबिनेट बैठक में वृद्धावस्था पेंशन से जुड़े इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव के साथ ही 15 से अधिक अन्य प्रस्ताव भी रखे जाने की संभावना है। यदि वृद्धावस्था पेंशन वाला प्रस्ताव मंजूर होता है तो सरकार इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी और इसके बाद जिले एवं ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को योजना के क्रियान्वयन का दायित्व सौंपा जाएगा। अनुमान है कि प्रस्ताव पारित होने के बाद विभाग लाभार्थियों को फोन कॉल या एसएमएस के माध्यम से पेंशन पात्रता की जानकारी भेजना शुरू करेगा। जिन लाभार्थियों के बैंक खाते पहले से लिंक होंगे, उन्हें बिना किसी देरी के पेंशन का लाभ मिल सकेगा। वहीं जिनके रिकॉर्ड अधूरे हैं, उनके लिए स्थानीय स्तर पर समाधान केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं ताकि दस्तावेज़ी प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सके। सरकार का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि आवश्यकता के बावजूद कोई भी बुजुर्ग पेंशन सुविधा से वंचित न रहे।

समग्र रूप से देखा जाए तो यूपी सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन को ‘घर बैठे’ उपलब्ध कराने का यह प्रस्ताव सामाजिक सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। यदि यह व्यवस्था पूरी तरह लागू हो जाती है, तो राज्य के लाखों वरिष्ठ नागरिकों को अपने जीवन के इस चरण में आर्थिक सहारा अधिक सरल और सम्मानजनक तरीके से मिल सकेगा। यह कदम न केवल प्रशासनिक बोझ कम करेगा, बल्कि सामाजिक कल्याण योजनाओं की पहुंच और प्रभावशीलता को भी काफी बढ़ाएगा। सरकार की अगली कैबिनेट बैठक और उसके बाद आने वाले दिशानिर्देश यह तय करेंगे कि यह नई व्यवस्था कितनी जल्दी और कितनी व्यापक रूप से लागू हो पाएगी।

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