नेहरू की जयंती पर श्रद्धांजलि: देशभर में मनाया गया बाल-दिवस

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14 नवम्बर को देश ने अपने पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती मनाई, जिन्हें देश प्रेमपूर्वक ‘चाचा नेहरू’ के नाम से भी याद करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर सोशल मीडिया के माध्यम से नेहरू को श्रद्धांजलि दी और स्वतंत्रता आंदोलन तथा आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान को याद किया। उन्होंने नेहरू की दूरदर्शी सोच, लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने में उनकी भूमिका और राष्ट्रीय विकास की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की सराहना की। इसी तरह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी दिल्ली स्थित शांति वन जाकर नेहरू के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की। कांग्रेस नेतृत्व ने इस दिन को नेहरू के सिद्धांतों—लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और वैज्ञानिक सोच—की पुनर्स्मृति से जोड़ा तथा उनके विचारों को आज के भारत में भी प्रासंगिक बताया।

पंडित नेहरू की जयंती देश में बाल-दिवस के रूप में भी मनाई जाती है, क्योंकि बच्चों के प्रति उनके विशेष स्नेह और शिक्षा पर दिए गए महत्व ने उन्हें बचपन और बाल-हित के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। इसी कारण स्कूलों, संस्थानों और विभिन्न सामाजिक संगठनों में इस दिन बच्चों से जुड़ी गतिविधियाँ आयोजित की गईं। कई विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएँ और बच्चों के लिए मनोरंजक आयोजन हुए, जबकि शैक्षिक संस्थानों में नेहरू के विचारों और बाल-शिक्षा विषयक नीतियों पर चर्चाएँ की गईं। नेहरू का मानना था कि देश का भविष्य उसके बच्चों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, और इसी सोच के कारण स्वतंत्रता के बाद शिक्षा एवं वैज्ञानिक temper के विकास को उन्होंने राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया।

नेहरू की विरासत आधुनिक भारत की नींव में गहराई तक समाई हुई है। उन्होंने संस्थागत ढांचे की मजबूती, संसदीय लोकतंत्र के संचालन, पंचवर्षीय योजनाओं, उद्योग-विकास और वैज्ञानिक अनुसंधान को दिशा दी। IITs, वैज्ञानिक संस्थान, बड़े सरकारी उपक्रम और कई प्रशासनिक निर्णय उनकी नीतिगत सोच का परिणाम रहे। उनकी जयंती का यह अवसर केवल श्रद्धांजलि का दिन नहीं, बल्कि उनके योगदान और नीतियों के समकालीन महत्व पर विचार करने का भी दिन है।

समग्र रूप से, नेहरू की जयंती ने एक बार फिर देश को उनकी राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक विरासत की याद दिलाई। प्रधानमंत्री से लेकर विपक्षी नेताओं तक, सभी ने उनके प्रति सम्मान व्यक्त कर यह स्वीकार किया कि नेहरू भारतीय राष्ट्र-निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक रहे हैं। बाल-दिवस के रूप में उनकी जन्मतिथि का उत्सव इस बात का प्रतीक है कि उनकी सोच आज भी बच्चों, शिक्षा और राष्ट्रीय प्रगति से जुड़ी नीतियों में प्रतिबिंबित होती है।

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