भारत और नेपाल ने रेल-आधारित व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जोगबनी–विराटनगर रेल लिंक को औपचारिक रूप से कार्गो ढुलाई के लिए खोलने का निर्णय लिया है। दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों के बीच Letter of Exchange (LoE) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके बाद यह रेलमार्ग अब कंटेनराइज़्ड और थोक माल के नियमित परिवहन के लिए अधिकृत हो गया है। यह कदम दोनों देशों की 2019 में हस्ताक्षरित ट्रांजिट संधि में संशोधन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सीमा-पार माल ढुलाई को तेज, सुगम और आधुनिक बनाना है। जोगबनी–विराटनगर लाइन को भारत की अनुदान सहायता से विकसित किया गया था और 2023 में इसका उद्घाटन हुआ था, लेकिन उसे वाणिज्यिक संचालन के लिए पूरी तरह सक्रिय करने की प्रक्रिया अब मुकम्मल हो सकी है। इस समझौते के लागू होने से भारत के प्रमुख समुद्री बंदरगाहों—विशेषकर कोलकाता और विशाखापत्तनम—से निकलने वाले कंटेनर और थोक माल को अब सीधे रेल के माध्यम से नेपाल के मोरंग जिले स्थित कस्टम यार्ड तक पहुंचाया जा सकेगा। पहले यह माल सड़क परिवहन के जरिए ले जाया जाता था, जिससे समय और लागत दोनों बढ़ते थे; अब रेल मार्ग से लॉजिस्टिक्स में गति आएगी, पारगमन अवधि घटेगी और सड़कों पर दबाव कम होगा।
यह व्यवस्था न सिर्फ नेपाल के लिए समुद्री पहुंच को आसान करेगी बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापार को भी प्रतिस्पर्धी और कुशल बनाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि जोगबनी–विराटनगर रेल लिंक के वाणिज्यिक रूप से सक्रिय होने से नेपाल की तीसरे देशों के साथ व्यापारिक क्षमता भी मजबूत होगी, क्योंकि समुद्री बंदरगाहों से आने-जाने वाली बड़ी खेपों की लागत कम हो जाएगी। सीमा-क्षेत्र के स्थानीय व्यापारिक समुदाय को भी इससे लाभ मिलेगा, क्योंकि बढ़ती माल ढुलाई के साथ गोदाम, कस्टम क्लियरेंस, लोडिंग-अनलोडिंग और परिवहन सेवाओं में नए अवसर पैदा होंगे। हालांकि, सुचारू क्रियान्वयन के लिए दोनों देशों को कस्टम प्रक्रियाओं का सरलीकरण, डेटा-इंटीग्रेशन, रेलवे संचालन का समन्वय और इंटीग्रेटेड चेक-पॉइंट्स पर सुविधाओं का विस्तार करना होगा। अधिकारी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि इस कॉरिडोर के पूर्ण संचालन से पहले परीक्षण आधार पर कुछ खेपें चलाई जाएँगी, जिनसे तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों की पहचान की जाएगी।
यह समझौता भारत–नेपाल आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है, क्योंकि भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और कनेक्टिविटी परियोजनाएँ दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की भावना को और मज़बूत करती हैं। जोगबनी–विराटनगर लिंक के सक्रिय होने से काठमांडू और पूर्वी नेपाल के औद्योगिक क्षेत्रों को भी बड़ा लाभ मिलेगा, क्योंकि उन्हें अब तेज़ और विश्वसनीय सप्लाई चेन की सुविधा उपलब्ध होगी। दोनों देशों की सरकारें उम्मीद कर रही हैं कि यह रेल लिंक न केवल मौजूदा व्यापार को बढ़ाएगा बल्कि आने वाले वर्षों में नए निवेश और औद्योगिक विस्तार का आधार भी बनेगा।













