कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “मेरी निजी राय में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।” खरगे ने यह टिप्पणी तब की जब पत्रकारों ने उनसे आरएसएस की भूमिका और देश की राजनीति में उसके प्रभाव को लेकर सवाल पूछा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश में नफरत, विभाजन और हिंसा का जो माहौल बनाया जा रहा है, उसकी जड़ें आरएसएस की विचारधारा से जुड़ी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस की सोच देश की एकता और संविधान के सिद्धांतों के विपरीत है।
खरगे ने अपने बयान में यह भी कहा कि भारत में पहले भी आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था और इतिहास इस बात का साक्षी है कि संगठन पर कई बार समाज में वैचारिक विभाजन फैलाने के आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि देश में ऐसे संगठनों की भूमिका और उनके प्रभाव पर गंभीर चर्चा हो। खरगे का यह बयान कांग्रेस पार्टी के उस पुराने रुख से भी मेल खाता है, जिसमें पार्टी ने आरएसएस की विचारधारा का विरोध किया है।
खरगे के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। बीजेपी नेताओं ने इसे राजनीतिक हताशा करार दिया है, जबकि कांग्रेस समर्थकों ने कहा कि यह बयान देश की एकता और संविधान की रक्षा के दृष्टिकोण से सही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी माहौल में इस तरह के बयानों का असर जनता के बीच वैचारिक बहस को और तेज कर सकता है।
इस पूरी बहस के बीच खरगे ने स्पष्ट किया कि यह उनकी “निजी राय” है और कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक निर्णय नहीं। इसके बावजूद, उनके बयान ने भारतीय राजनीति में आरएसएस की भूमिका को लेकर नई चर्चा को जन्म दे दिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस विषय पर विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच तीखी राजनीतिक बयानबाज़ी देखने को मिल सकती है।













