देशभर में शुक्रवार, 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भव्य रूप से मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की और ‘रन फॉर यूनिटी’ सहित कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारत की अखंडता और समरसता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे देश की एकता और विकास के लिए सरदार पटेल के आदर्शों को आत्मसात करें।
वहीं, इस मौके पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज रही। कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज सत्ता पक्ष सरदार पटेल के नाम और विचारों का राजनीतिक इस्तेमाल कर रहा है। पार्टी के आधिकारिक बयान में कहा गया कि यदि आज सरदार पटेल जीवित होते, तो वे खुद यह देखकर “हैरान” रह जाते कि उनकी विचारधारा का उपयोग कैसे राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जो संगठन और नेता स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पटेल के खिलाफ खड़े थे, वे अब उनके नाम पर राजनीति कर रहे हैं।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने एकता दिवस के कार्यक्रमों को “राष्ट्र की शक्ति और एकजुटता” का प्रतीक बताया। गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रियों ने सरदार पटेल को नमन करते हुए कहा कि आज़ादी के बाद 562 रियासतों को भारत में मिलाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। अमित शाह ने कहा कि यदि सरदार पटेल न होते, तो आज भारत की भौगोलिक एकता अधूरी रहती। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार देश के हर नागरिक को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प से जोड़ने के लिए लगातार कार्य कर रही है।
देशभर में इस अवसर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और सामाजिक संगठनों ने रन फॉर यूनिटी, एकता प्रतिज्ञा समारोह और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया। प्रशासनिक स्तर पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई और कई जिलों में महिला अधिकारियों ने कार्यक्रमों का संचालन किया। जनता में सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए ‘लौह पुरुष’ की आदर्श छवि को नई पीढ़ी के सामने प्रस्तुत किया गया।
पृष्ठभूमि के रूप में उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी, जब केंद्र सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को इस रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस वर्ष उनकी 150वीं जयंती होने के कारण पूरे देश में कार्यक्रमों को विशेष स्वरूप दिया गया। इतिहासकारों और राजनीतिक विश्लेषकों ने भी इस अवसर पर पटेल के योगदान, उनकी विचारधारा और आज के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की।
यह दिन एक बार फिर याद दिलाता है कि सरदार पटेल केवल भारत के प्रथम गृह मंत्री नहीं थे, बल्कि वे राष्ट्र की एकता और अखंडता के जीवंत प्रतीक थे — जिनकी दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प के बिना भारत का वर्तमान स्वरूप संभव नहीं होता।













