दिवाली के उत्सव के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा ज़हरीली हो गई है। सोमवार की रात से ही राजधानी में पटाखों की तेज़ आवाज़ों और धुएं का घना गुबार छा गया, जिसके बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। मंगलवार सुबह राजधानी का औसत AQI 400 से भी अधिक दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर श्रेणी’ (Severe Category) में आता है। कई इलाकों जैसे आनंद विहार, वज़ीरपुर, विवेक विहार, द्वारका और अशोक विहार में स्थिति बेहद भयावह रही, जहाँ AQI 420 के पार चला गया।
वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के 38 में से 34 निगरानी केंद्रों पर प्रदूषण का स्तर ‘बेहद ख़राब’ या ‘गंभीर’ दर्ज किया गया। दिवाली की रात 10 बजे के बाद जैसे-जैसे पटाखे फूटे, धुएं और धूल का स्तर आसमान छू गया। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) की मात्रा कई गुना बढ़ गई, जिससे सांस लेने में तकलीफ़, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं आम हो गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों के धुएं के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली तथा कम हवा चलने के कारण यह प्रदूषण लंबे समय तक बना रह सकता है।
दिल्ली सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले ही ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत सख्त कदम उठाने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बावजूद राजधानी में पटाखों का शोर और धुआं रुक नहीं पाया। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि नागरिकों की लापरवाही और प्रतिबंधों की अनदेखी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें और मास्क का उपयोग करें। बच्चों, बुजुर्गों और सांस से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 से 48 घंटे तक प्रदूषण के स्तर में बहुत अधिक सुधार की संभावना नहीं है। हवा की गति कम होने और तापमान में गिरावट के कारण धुआं नीचे ही ठहर गया है, जिससे राजधानी पर स्मॉग की मोटी परत छाई हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम बनी रही और पराली जलाने की घटनाएं जारी रहीं, तो दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक आने वाले दिनों में और बिगड़ सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लगातार ऐसे वातावरण में रहने से श्वसन तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक़, जिन लोगों को पहले से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या एलर्जी की समस्या है, उन्हें घर के अंदर रहना चाहिए और एयर प्यूरीफायर या नम कपड़े जैसे घरेलू उपाय अपनाने चाहिए। साथ ही सुबह की सैर और बाहरी व्यायाम कुछ दिनों के लिए टालने की सलाह दी गई है।
राजधानी की यह स्थिति न केवल प्रशासन के लिए चुनौती है, बल्कि नागरिकों के लिए भी आत्म-संयम का परीक्षण है। दिवाली की रात की थोड़ी सी खुशी अब पूरे शहर के लिए परेशानी का कारण बन गई है। सरकार ने निगरानी और कड़े कदमों का संकेत दिया है, लेकिन जब तक लोग स्वयं जिम्मेदारी नहीं निभाते, तब तक दिल्ली को स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल ही लगता है।













