दुर्गापुर मेडिकल छात्रा दुष्कर्म मामला: “क्या बंगाल में तालिबान राज है?” — CPI(M) ने ममता सरकार पर साधा निशाना

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पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक निजी मेडिकल कॉलेज की दूसरी वर्ष की छात्रा के साथ हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है। पुलिस के अनुसार, यह घटना शुक्रवार देर रात कॉलेज परिसर के पास हुई, जब छात्रा बाहर निकली थी। कुछ अज्ञात लोगों ने उसे सुनसान जगह पर ले जाकर दुष्कर्म किया। मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि मोबाइल ट्रैकिंग और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संदिग्धों की पहचान की गई है और फोरेंसिक टीम साक्ष्य जुटा रही है।

इस मामले के उजागर होते ही राजनीतिक पारा चढ़ गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि “रात के साढ़े बारह बजे वह (छात्रा) बाहर क्यों थी?” उन्होंने सभी निजी कॉलेजों और संस्थानों को छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। हालांकि, मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे पीड़िता को दोषी ठहराने जैसा बताया। CPI(M) के नेता मोहम्मद सलीम ने मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए कहा कि “क्या बंगाल में तालिबान राज चल रहा है, जहां महिलाओं की आज़ादी पर सवाल उठाए जा रहे हैं?” उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न उठाए और कहा कि ममता सरकार महिलाओं की सुरक्षा देने में पूरी तरह विफल रही है।

वहीं, भाजपा ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल में कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है और अपराधियों में पुलिस का कोई डर नहीं रह गया है। भाजपा नेताओं ने मांग की कि आरोपियों को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में पेश कर जल्द से जल्द कड़ी सज़ा दी जाए। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस संवेदनशील मामले को राजनीति का माध्यम बना रहे हैं, जबकि सरकार जांच को पूरी गंभीरता से आगे बढ़ा रही है।

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने कहा कि पीड़िता को सभी आवश्यक चिकित्सीय और मनोवैज्ञानिक सहायता दी जाए और दोषियों को जल्द से जल्द सज़ा दिलाई जाए। छात्र संगठनों, डॉक्टर एसोसिएशनों और नागरिक समूहों ने भी इस घटना की निंदा की है और सरकार से कॉलेज परिसरों में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम करने की मांग की है।

पीड़िता ओडिशा की रहने वाली बताई जा रही है। ओडिशा सरकार ने भी मामले की निगरानी शुरू कर दी है और बंगाल प्रशासन के साथ संपर्क बनाए रखा है। ओडिशा के अधिकारियों ने कहा कि अब तक की पुलिस कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं और उम्मीद जताई है कि पीड़िता को न्याय अवश्य मिलेगा। फिलहाल, पुलिस ने यह मामला फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है ताकि सुनवाई जल्द पूरी हो सके।

इस घटना ने न केवल बंगाल की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा, कॉलेजों की निगरानी और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी बहस छेड़ दी है। नागरिक समाज के लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में केवल सख्त सज़ा ही नहीं, बल्कि समाजिक सोच में बदलाव भी ज़रूरी है। अब पूरा राज्य इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि क्या पुलिस और प्रशासन पीड़िता को न्याय दिलाने में सफल होंगे या यह मामला भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।

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