कफ सिरप से बच्चों की मौतों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई की है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत ईडी ने चेन्नई स्थित दवा कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स (Sresan Pharma) से जुड़े सात ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई उस मामले से जुड़ी है, जिसमें मध्य प्रदेश के चिंदवाड़ा और आसपास के इलाकों में बच्चों की मौतें हुई थीं। शुरुआती जांच में यह पाया गया था कि कंपनी द्वारा निर्मित ‘Coldrif’ कफ सिरप में खतरनाक रसायन डायएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) की मात्रा पाई गई थी, जो इंसान के लिए जहरीला साबित होता है।
ईडी की टीम ने सोमवार सुबह से ही कंपनी के दफ्तरों, मालिक जी. रंगनाथन (G. Ranganathan) के आवास और तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग के कुछ अधिकारियों के घरों पर दबिश दी। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज, बैंक लेनदेन रेकॉर्ड, इलेक्ट्रॉनिक डेटा और वित्तीय विवरण जब्त किए हैं। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस मामले में अवैध तरीके से धन का लेन-देन या मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियाँ हुईं।
इससे पहले तमिलनाडु पुलिस ने कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार किया था और प्लांट को सील कर दिया गया था। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि उत्पादन के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया और गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्टों में हेरफेर की गई। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्टों के अनुसार, संदिग्ध सिरप पीने से 19 से 23 बच्चों की मौत हुई थी। मौतों की यह श्रृंखला सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों में हड़कंप मच गया था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने भी कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और दवा निर्माण इकाइयों पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं। ड्रग कंट्रोल विभाग ने राज्यभर में कफ सिरप के नमूने एकत्रित करने और लैब परीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है ताकि अन्य कंपनियों की दवाओं में भी मिलावट की संभावना की जांच की जा सके।
ईडी की यह कार्रवाई केवल अपराधियों की जिम्मेदारी तय करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य यह भी है कि वित्तीय स्तर पर किसी ने नियमों को दरकिनार कर मुनाफा तो नहीं कमाया। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या कंपनी ने बिक्री और वितरण नेटवर्क के जरिये फर्जी बिलिंग, टैक्स चोरी या गलत अकाउंटिंग की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसे मामले पहले सामने आ चुके हैं, जिनमें मिलावटी कफ सिरप से अफ्रीकी और एशियाई देशों में बच्चों की मौतें हुई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना भारत के औषधि नियंत्रण तंत्र के लिए एक चेतावनी है कि दवा निर्माण और निर्यात प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सख्ती की तत्काल आवश्यकता है।
वर्तमान में ईडी की छापेमारी जारी है और एजेंसी द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं, जो यह बताएंगे कि श्रीसन फार्मा और संबंधित अधिकारियों की भूमिका कितनी गहरी थी।













