राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर लगाया विपक्ष को विदेशी मेहमानों से अलग रखने का आरोप

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले देश की सियासत में नया विवाद खड़ा हो गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपनी “असुरक्षा” के कारण विदेशी गणमान्यों को विपक्षी नेताओं से मिलने की अनुमति नहीं देती। राहुल के अनुसार, पहले की सरकारें—चाहे अटल बिहारी वाजपेयी का कार्यकाल हो या डॉ. मनमोहन सिंह का—विदेश से आने वाले उच्च स्तरीय मेहमानों से विपक्ष की भी मुलाकात कराती थीं, क्योंकि विपक्ष भी देश का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन मौजूदा सरकार इस परंपरा को खत्म कर रही है और विदेशी मेहमानों से विपक्ष को अलग रख रही है, जिसके कारण कई बार उनसे मिलने के अनुरोध को साफ तौर पर ठुकरा दिया गया है।

राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रपति पुतिन 4–5 दिसंबर को दो दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रात्रिभोज, राजघाट का दौरा, द्विपक्षीय वार्ता और कई महत्वपूर्ण समझौते शामिल हैं। पुतिन के कार्यक्रम की संवेदनशीलता और भारत–रूस संबंधों के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए राहुल की टिप्पणी ने कूटनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। विपक्ष का कहना है कि विदेशी मेहमानों से मुलाकात केवल सरकार की विशेषाधिकार संपन्न गतिविधि नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रकिया का हिस्सा है, जिसमें देश का व्यापक प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए।

हालाँकि केंद्र सरकार की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन कुछ सत्ताधारी नेताओं ने राहुल के आरोपों को निराधार कहा और इसे “राजनीतिक बयानबाजी” करार दिया। विदेश मंत्रालय पहले ही पुतिन दौरे से जुड़ी तैयारियों में व्यस्त है और हाल ही में कुछ चर्चित विदेशी बयानों पर कड़ा रुख भी दिखा चुका है, जिसके कारण यह विवाद और भी चर्चाओं में आ गया है। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने राहुल की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि विदेशी कूटनीति में विपक्ष को अलग-थलग रखना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है। उधर सत्तापक्ष इसे गैर-जरूरी विवाद बता रहा है। पुतिन के आगमन से पहले उत्पन्न यह राजनीतिक बहस अब संसद और कूटनीति दोनों की चर्चा का हिस्सा बन गई है।

Leave a Comment

और पढ़ें