रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत में नागरिक और सैन्य तंत्र के बेहतरीन तालमेल का सर्वोत्तम उदाहरण बताते हुए कहा कि इस अभियान ने साबित किया है कि जब प्रशासनिक मशीनरी और सशस्त्र बल एक साथ खड़े होते हैं, तब देश की सुरक्षा को कोई चुनौती डिगा नहीं सकती। मसूरी स्थित LBSNAA में अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जानकारी साझा करने से लेकर रणनीति को लागू करने तक हर कदम पर नागरिक अधिकारियों और सैन्य नेतृत्व ने जो समन्वय दिखाया, वह आधुनिक सुरक्षा प्रणाली का नया मानक बन गया है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था बल्कि यह भारत की सामरिक दृढ़ता, राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा तकनीकी आत्मनिर्भरता का संगठित प्रदर्शन था।
राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और सीमापार मौजूद आतंकी शिविरों को बेहद सटीकता और संतुलित तरीके से नष्ट किया गया। उनके अनुसार यह कार्रवाई ‘गैर-मापक’ हमले (non-escalatory strike) की श्रेणी में आती है, जिसका उद्देश्य आतंकियों की क्षमताओं को ध्वस्त करना था, न कि संघर्ष को बढ़ाना। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन का स्पष्ट संदेश था कि भारत अपनी सुरक्षा के खिलाफ किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं करेगा और यदि दुश्मन शांति भंग करेगा, तो भारत निर्णायक जवाब देगा। उन्होंने नई पीढ़ी के प्रशासकों को भी संदेश दिया कि बदलते सुरक्षा परिवेश में उनकी भूमिका सैन्य तंत्र जितनी ही महत्वपूर्ण है और उन्हें देशहित में तत्परता एवं समर्पण के साथ जिम्मेदारियाँ निभानी चाहिए।
रक्षा मंत्री ने इस अभियान में तीनों सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—के बीच अभूतपूर्व एकीकृत संचालन क्षमता की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध अब सिर्फ सीमा पर लड़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि यह तकनीक, संचार, साइबर-सुरक्षा और प्रशासनिक निर्णय क्षमता के सम्मिलित प्रयासों से लड़ा जाता है। उन्होंने माना कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की रक्षा प्रणाली अब ‘साइलो ऑपरेशन’ से आगे बढ़कर ‘ज्वाइंट मिशन मोड’ में परिवर्तित हो चुकी है। अभियान में स्वदेशी रक्षा तकनीक और उपकरणों का प्रभावी उपयोग हुआ, जिसने ‘मेक-इन-इंडिया’ आधारित सैन्य क्षमता को और विश्वसनीय बनाया।
इस अभियान का मानवीय पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण रहा। रिपोर्टों के अनुसार ऑपरेशन के दौरान जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में CISF और स्थानीय प्रशासन ने संयुक्त रूप से लगभग 250 नागरिकों की जान बचाई तथा कई कर्मियों ने असाधारण साहस का परिचय दिया, जिन्हें बाद में डीजी डिस्क सम्मान से नवाज़ा गया। सेना प्रमुख द्वारा बताए गए तथ्यों के अनुसार इस अभियान में महज 22 मिनट के भीतर नौ लक्षित ठिकाने नष्ट किए गए, जो भारतीय बलों के प्रशिक्षण, अनुशासन और तकनीकी दक्षता का प्रमाण है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अभियान भविष्य में भारत की रणनीतियों के लिए एक मॉडल है, जिसमें सामरिक कार्रवाई और मानवीय ज़िम्मेदारी दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि भारत की आधुनिक सुरक्षा संरचना नागरिक-सैन्य तालमेल पर आधारित है, और जब दोनों इकाइयाँ पूरी क्षमता से काम करती हैं, तो देश किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम रहता है। रक्षा मंत्री के अनुसार यह अभियान न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई था, बल्कि यह भारत के भविष्य के सुरक्षा दृष्टिकोण—संयम, सटीकता, समन्वय और आत्मनिर्भरता—का स्पष्ट संकेत भी है।













