दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों ने हाल ही में राजधानी के सभी प्रमुख निजी अस्पतालों को एक विस्तृत नोटिस भेजकर उन डॉक्टरों की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है, जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और चीन जैसे देशों से MBBS या समान मेडिकल डिग्रियां प्राप्त की हैं। यह कदम 10 नवंबर को लालकिले के पास हुए कार बम धमाके की जांच में सामने आए अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और ‘व्हाइट-कलर मॉड्यूल’ की संभावित कड़ियों को समझने के उद्देश्य से उठाया गया है। संबंधित एजेंसियों ने अस्पतालों से कहा है कि वे ऐसे डॉक्टरों के नाम, उनकी शैक्षणिक योग्यता, डिग्री का वर्ष, विदेश में अध्ययन करने वाले संस्थान, वर्तमान पद, नियुक्ति का कार्यकाल, संपर्क विवरण और यदि उपलब्ध हो तो इंटर्नशिप या क्लिनिकल रोटेशन से जुड़े दस्तावेज साझा करें। नोटिस में यह भी उल्लेख है कि यदि किसी चिकित्सक ने अध्ययन के दौरान या उसके बाद इन देशों में लंबा समय बिताया हो तो उस अवधि और यात्रा से जुड़ी बुनियादी जानकारी भी उपलब्ध कराई जाए।
जांच एजेंसियों का मानना है कि इस डेटा के माध्यम से वे उन संभावित कड़ियों की पड़ताल कर पाएंगे जो किसी संदिग्ध मॉड्यूल, नेटवर्क या वित्तीय गतिविधियों से जुड़ी हो सकती हैं। हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया महज जांच को आगे बढ़ाने के लिए एक सतर्कता-आधारित कदम है और इसका यह अर्थ नहीं है कि विदेश से मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाला प्रत्येक डॉक्टर संदिग्ध है। इस दौरान कई निजी अस्पतालों ने निर्देश प्राप्त होने के बाद डेटा संकलन शुरू कर दिया है। कुछ ने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों के आधिकारिक पंजीकरण रिकॉर्ड दिल्ली मेडिकल काउंसिल (DMC) से भी प्राप्त किए जाएं, क्योंकि वही संस्थागत रूप से सत्यापित जानकारी का प्राथमिक स्रोत होता है। वहीं, चिकित्सा संस्थानों के कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने चिंता जताई है कि इस तरह की प्रक्रिया चिकित्सकीय समुदाय के एक विशेष हिस्से पर अनावश्यक संदेह का कारण न बन जाए, क्योंकि विदेश में MBBS करना भारत में लंबे समय से प्रचलित रहा है और अधिकांश डॉक्टर नियमन तथा वैध मान्यता के साथ ही भारत में प्रैक्टिस करते हैं।
जांच एजेंसियों ने अस्पतालों को आश्वस्त किया है कि दी गई जानकारी को केवल जांच-उद्देश्य से उपयोग किया जाएगा और किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले सभी दस्तावेजों और विवरणों को विधिवत सत्यापित किया जाएगा। आने वाले दिनों में अस्पतालों से प्राप्त रिकॉर्ड की जांच की जाएगी और यदि किसी डॉक्टर के दस्तावेज, अध्ययन इतिहास या कनेक्शनों में अनियमितताएं पाई जाती हैं तो संबंधित व्यक्ति से स्पष्टीकरण या पूछताछ भी हो सकती है। लालकिला धमाके से जुड़े मॉड्यूल की जाँच में पहले ही कई गिरफ्तारियाँ और छापेमारियाँ हो चुकी हैं, और अब विदेशी–शैक्षिक संबंधों को भी इसी जांच-ढाँचे में विश्लेषित किया जा रहा है। एजेंसियों का कहना है कि उनका उद्देश्य राजधानी में किसी भी संभावित जोखिम को समय रहते रोकना है, इसलिए डेटा विश्लेषण, पृष्ठभूमि-जाँच और यात्रा या वित्तीय रिकॉर्ड की तुलना जैसे कदमों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
अस्पतालों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जांच का दायरा आगे और बढ़ सकता है तथा भविष्य में विदेशी डिग्री की मान्यता, चिकित्सा पंजीकरण प्रक्रियाओं और सत्यापन-अभ्यास से संबंधित नीतिगत समीक्षा की संभावना भी बन सकती है। इस बीच, कानून-प्रवर्तन एजेंसियों और चिकित्सा संस्थानों दोनों ने पारस्परिक सहयोग और संवेदनशीलता बनाए रखने की अपील की है, ताकि न तो किसी निर्दोष डॉक्टर को बिना कारण परेशानी हो और न ही सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक रह जाए। इस पूरी प्रक्रिया को सुरक्षा-सतर्कता और पेशेवर पारदर्शिता के संतुलन के साथ आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।












