स्वास्थ्य मंत्रालय की बड़ी कार्रवाई—कफ सिरप अब केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिलेगा

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केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कफ सिरप की बिक्री पर महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय लिया है। नई व्यवस्था के तहत अब अधिकांश कफ सिरप मेडिकल दुकानों पर डॉक्टर की पर्ची के बिना उपलब्ध नहीं होंगे। यह कदम पिछले महीनों में सामने आए उन मामलों के बाद उठाया गया है, जिनमें कुछ कफ सिरपों में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल और ईथिलीन ग्लाइकोल जैसे खतरनाक रसायनों की मौजूदगी पाई गई थी। इन घटनाओं ने देश और विदेश में बच्चों की सेहत पर गंभीर असर डाला और भारत की दवा-गुणवत्ता प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर औषधि नियामकों ने बैठकें कीं और विशेषज्ञ समितियों ने सुझाव दिए कि कफ सिरपों को अब केवल प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही बेचा जाए।

सरकार के इस फैसले के बाद देशभर की फार्मेसियों को अब डॉक्टर द्वारा लिखे गए प्रिस्क्रिप्शन को अनिवार्य रूप से दर्ज करना होगा और संबंधित कफ सिरपों की ओवर-द-काउंटर बिक्री पर रोक लगानी होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश भेजकर गुणवत्ता-जाँच और रैंडम सैंपलिंग को तेज करने के लिए कहा है, ताकि किसी भी संदिग्ध दवा को तुरंत बाजार से हटाया जा सके। कई राज्यों ने पहले से ही कुछ ब्रांडों के कफ सिरपों की बिक्री पर अस्थायी रोक लगाई थी और दुकानों से सैंपल एकत्र कर परीक्षण के लिए लैब भेजे जा रहे थे। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों तक पहुँचने वाली दवाएँ बिल्कुल सुरक्षित और मानक-अनुरूप हों।

इस कदम का असर फार्मास्यूटिकल उद्योग पर भी दिखाई देगा, क्योंकि निर्माताओं को अपने प्लांट्स में गुणवत्ता-मानकों को और मजबूत बनाना होगा। बैच-टेस्टिंग, उत्पादन प्रोटोकॉल और क्रॉस-कॉन्टैमिनेशन रोकने के उपायों पर अधिक निवेश करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त नियमों के कारण शुरुआती समय में आपूर्ति-श्रृंखला पर हल्का असर पड़ सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह कदम भारत की दवा-सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय साख को मजबूत करेगा।

सरकार ने अभिभावकों को भी सलाह दी है कि बच्चों को किसी भी तरह के कफ या कॉल्ड सिरप देने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें, क्योंकि हर सिरप हर उम्र के बच्चे पर एक जैसा प्रभाव नहीं डालता। यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि किसी भी खतरनाक या नकली दवा का उपयोग रोका जा सके। आगे चलकर सरकार और दवा नियामक संस्थाएँ कफ सिरप को औपचारिक रूप से ‘प्रिस्क्रिप्शन-ओनली’ श्रेणी में शामिल करने, देशभर में गुणवत्ता-जाँच नेटवर्क को मजबूत करने और दवा-उद्योग में सुधार जारी रखने पर काम कर सकती हैं।

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