भारत में पर्यटन क्षेत्र को गति देने के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 के बजट में इसे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का मुख्य आधार बताया है। सरकार ने घोषणा की है कि देशभर के शीर्ष 50 पर्यटन स्थलों को विशेष दर्जा देकर उन्हें चुनौती-आधारित प्रक्रिया के तहत विकसित किया जाएगा, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से काम करेंगी। इस योजना का उद्देश्य इन स्थलों पर विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना, आधुनिक अवसंरचना विकसित करना, स्थानीय रोजगार को बढ़ाना और पर्यटकों के अनुभव को अधिक समृद्ध बनाना है। इस दिशा में पहले चरण में सात स्थलों का चयन कर मॉडल प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं, जिनमें ऑरछा, गांदीकोटा और बोधगया जैसे स्थान शामिल हैं, जहां विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि पूरे प्रोजेक्ट में स्थानीय समुदायों की सहभागिता, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि विकास के साथ क्षेत्र की पहचान भी सुरक्षित रह सके।
सरकार का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में भारत का पर्यटन क्षेत्र 20 प्रतिशत या उससे अधिक की वार्षिक वृद्धि दर हासिल कर सकता है। यह अनुमान घरेलू यात्रियों की बढ़ती संख्या, अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों के विस्तार, मेडिकल टूरिज़्म और नए होमस्टे उद्यमों के विकास जैसे कारकों पर आधारित है। बजट में होमस्टे के लिए आसान कर्ज, मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजनाएं और पर्यटन स्थलों को Harmonised Master List में शामिल करने जैसे कई प्रावधान किए गए हैं, जिससे राज्यों को आवश्यक भूमि और संसाधन उपलब्ध करवाने में आसानी होगी। सरकार इस पहल को केवल निवेश-आधारित कदम नहीं, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए विकास के नए अवसर के रूप में देख रही है, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के नए रास्ते मिलेंगे।
हालांकि इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं, जैसे बेहतर सड़क और हवाई कनेक्टिविटी का विस्तार, जल व कचरा प्रबंधन प्रणाली की मजबूती, सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता में सुधार, तथा निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता। विशेषज्ञों का मानना है कि इन चुनौतियों पर समयबद्ध तरीके से काम किया गया, तो भारत वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी स्थिति को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। सरकार का पूरा प्रयास है कि 50 पर्यटन स्थलों का विकास केवल सौंदर्यीकरण तक सीमित न रहे, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था, ग्रामीण आजीविका और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हुए दीर्घकालिक पर्यटन वृद्धि का आधार बने। अगर योजनाओं का क्रियान्वयन तय मानकों के अनुसार हुआ, तो आने वाले वर्षों में भारत पर्यटन उद्योग में 20% से अधिक वृद्धि हासिल कर सकता है और देश के कई क्षेत्रों में नए आर्थिक अवसरों का द्वार खुल सकता है।













