अयोध्या में दमक उठा दिव्य रामलला मंदिर, स्वर्ण- अलंकरण और शिल्पकलाओं से सजा गर्भगृह

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अयोध्या में पांच वर्षों तक चली अविराम साधना, योजनाबद्ध निर्माण और तकनीकी दक्षता का परिणाम आज वह भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर है, जो अब पूरी आस्था और गौरव के साथ अपने पूर्ण स्वरूप में खड़ा दिखाई देता है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर और पूरे परिसर के निर्माण पर अब तक लगभग ₹1,400 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है, जिसमें मुख्य मंदिर, गर्भगृह, शेष संरचनाएँ, परिक्रमा पथ, सुरक्षा तंत्र और बाहरी विकास कार्य शामिल हैं। मंदिर की तीनों मंजिलें अपने निर्धारित आकार और स्वरूप में पूरी तरह तैयार हो चुकी हैं। विशाल स्तंभों, नक्काशीदार शिल्प, पारंपरिक वास्तुशास्त्र और आधुनिक संरचनात्मक तकनीकों के मेल ने इस मंदिर परिसर को एक अद्भुत रूप दिया है। निर्माण समिति के अनुसार गर्भगृह और मुख्य द्वारों को अलंकृत करने के लिए लगभग 45 किलो शुद्ध सोने का उपयोग किया गया है, जिससे मंदिर के शिल्प और दिव्यता में और अधिक चमक आई है। सोने की परत से सुसज्जित रामलला का सिंहासन, कारीगरों की महीन कला और धार्मिक गरिमा को एक साथ समेटे हुए है।

निर्माण के हर चरण पर तकनीकी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा गया। पांच वर्षों की पूरी निर्माण यात्रा को टाइम-लैप्स और डिजिटल रिकॉर्ड के रूप में भी संरक्षित किया जा रहा है, ताकि भविष्य में यह परियोजना एक तकनीकी और ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में उपलब्ध रह सके। मंदिर परिसर के बाहर के क्षेत्र को भी तीर्थयात्रियों की सुविधा के अनुरूप विकसित किया गया है। प्रवेश मार्गों का चौड़ीकरण, पार्किंग क्षेत्र, लैंडस्केपिंग, पंचवटी जैसे धार्मिक महत्त्व वाले हिस्सों का पुनर्निर्माण, और तीर्थयात्रियों की आवाजाही को सहज बनाने वाली कई व्यवस्थाएँ लगातार मजबूत की जा रही हैं। स्थानीय प्रशासन और ट्रस्ट मिलकर अयोध्या को एक विश्वस्तरीय तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से बुनियादी ढाँचा, सुरक्षा, पर्यटन सुविधाएँ और शहर की सौंदर्य-व्यवस्था पर विशेष बल दे रहे हैं।

वित्तीय पारदर्शिता इस पूरे प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण आधार रही है। ट्रस्ट समय-समय पर आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता रहा है और दान में मिली राशि का उपयोग मंदिर निर्माण, परिसर विस्तार और सांस्कृतिक-शैक्षिक परियोजनाओं में किया गया है। मंदिर के उद्घाटन और भविष्य के आयोजनों के लिए भी विस्तृत तैयारियाँ चल रही हैं, जिनका उद्देश्य देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव उपलब्ध कराना है। अयोध्या में बढ़ते धार्मिक पर्यटन से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय रोजगार, व्यापार और सेवाओं के नए अवसर लगातार बढ़ेंगे। पाँच वर्षों की अथक मेहनत, भक्तिभाव, शिल्पकला और व्यापक योजना ने मिलकर रामलला के इस भव्य और दिव्य आशियाने को साकार किया है, जो अब सनातन आस्था के प्रतीक और भारत की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में नई ऊँचाई प्राप्त कर चुका है।

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