ED की बड़ी कार्रवाई: अवैध कोयला खनन केस में 40 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ रेड

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध कोयला और खनन से जुड़े कथित धनशोधन नेटवर्क की जांच को तेज करते हुए पश्चिम बंगाल और झारखंड के कई जिलों में बड़े पैमाने पर छापेमारी की। शुक्रवार सुबह शुरू हुई इस कार्रवाई में एजेंसी की कई टीमें शामिल रहीं, जिन्होंने अलग-अलग ठिकानों पर व्यापारिक परिसरों, निजी आवासों, गोदामों और खनन से जुड़े संभावित ऑपरेशन पॉइंट्स की तलाशी ली। विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में छापों की संख्या अलग-अलग बताई गई है, जो 20 से लेकर 40 से अधिक ठिकानों तक का दावा करती हैं, जबकि अधिकारियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कार्रवाई एक संगठित नेटवर्क की पहचान और उसके वित्तीय स्रोतों का पता लगाने के उद्देश्य से की गई है। छापेमारी के दौरान टीमों ने कई स्थानों से दस्तावेज़, खनन-व्यवसाय से जुड़ी रजिस्ट्रियां, डिजिटल रिकॉर्ड और कुछ ठिकानों पर नकदी मिलने की भी पुष्टि की है, जिन्हें मनी-लॉन्ड्रिंग जांच के तहत साक्ष्य के तौर पर कब्जे में लिया गया है।

ED की यह पहल पिछले कुछ महीनों में अवैध खनन और उससे जुड़े वित्तीय अनियमितताओं पर की गई बड़ी कार्रवाइयों की कड़ी मानी जा रही है। इससे पहले एजेंसी ने पश्चिम बंगाल में अवैध रेत खनन के मामलों में भी ताबड़तोड़ छापे मारे थे, जिसके बाद अवैध संसाधनों के व्यापार में शामिल नेटवर्क की भूमिका और पैमाने का अंदाज़ा लगा था। इसी क्रम में झारखंड के कई हिस्सों, खासकर धनबाद और मुगमा क्षेत्र में, केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस ने भी अलग-अलग समय पर अवैध कोयला खनन के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाए हैं। इन अभियानों में कई खदान क्षेत्रों, परिवहन मार्गों और कोयला संग्रह केन्द्रों की जांच की गई, ताकि खनन से जुड़े अनधिकृत गतिविधियों और संभावित धनशोधन की प्रक्रिया को समझा जा सके।

ताजा छापेमारी को लेकर ED ने अभी तक आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कार्रवाई PMLA (मनी-लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) के तहत दर्ज मामलों की आगे की जांच का हिस्सा है। तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों और जब्त रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया जा रहा है, जिसके आधार पर समिति आगे की कार्रवाई तय करेगी। अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में शामिल नेटवर्क पिछले लंबे समय से खनन क्षेत्रों में सक्रिय रहा है, और इसके माध्यम से न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हुआ, बल्कि अवैध कमाई को वैध बनाने के लिए जटिल वित्तीय रास्तों का भी इस्तेमाल किया गया।

इस बड़े ऑपरेशन का असर छापेमारी वाले इलाकों में तुरंत दिखाई दिया, जहाँ कई व्यापारिक प्रतिष्ठान अस्थायी रूप से बंद रहे और परिवहन गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ा। स्थानीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी सामने आईं — कुछ नेताओं ने ED की कार्रवाई का समर्थन करते हुए अवैध खनन को राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक बताया, वहीं विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताते हुए निष्पक्षता पर सवाल उठाए। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि जांच तथ्यों और वित्तीय साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ रही है और जो भी निष्कर्ष सामने आएंगे, वे कानूनी प्रक्रिया के तहत अदालत में प्रस्तुत किए जाएंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार अवैध खनन और धनशोधन मामलों की जांच लंबी और जटिल होती है, क्योंकि इसमें कारोबारी नेटवर्क, लेन-देन श्रृंखलाओं, परिवहन चैनों और स्थानीय स्तर पर जुड़े कई हितों की परतें शामिल होती हैं। ED द्वारा चल रही यह कार्रवाई राज्य में ऐसे नेटवर्क को तोड़ने और जवाबदेही तय करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। आने वाले दिनों में जब्त दस्तावेज़ों की जांच, वित्तीय लेन-देन का विवरण और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ के बाद इस मामले से जुड़ा बड़ा खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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