बिहार की राजनीति एक बार फिर नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहाँ जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार को आज राजग विधायक दल का नेता चुने जाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। यह चयन मुख्यमंत्री पद तक उनके रास्ते को औपचारिक रूप से साफ करेगा और संभावना जताई जा रही है कि वे 20 नवंबर को एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। राज्य की सत्ता में लंबे अनुभव वाले नीतीश कुमार के लिए यह अवसर एक बार फिर नेतृत्व क्षमता दिखाने का होगा, जो उन्हें अब तक दसवीं बार राज्य का मुखिया बनने की दिशा में ले जा रहा है।
इस राजनीतिक गतिविधि के केंद्र में सोमवार और मंगलवार को हुई दिल्ली-पटना की उच्चस्तरीय बैठकें रहीं, जिनमें जदयू नेताओं और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सरकार गठन से जुड़े अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ लंबी बैठकें कीं, जहाँ मंत्रियों के विभागों का ढांचा, सीटों का फॉर्मूला और मंत्रालयों के वितरण को लेकर अंतिम रूपरेखा तैयार की गई। एनडीए के भीतर शक्ति-संतुलन और सीटों के अनुपात को देखते हुए प्रमुख मंत्रालयों का चयन काफी सोच-समझकर किया गया है, ताकि जातीय, क्षेत्रीय और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बनाए रखा जा सके।
इधर पटना में शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तैयारियाँ तेजी से आगे बढ़ रही हैं। कार्यक्रम में देश के कई प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया गया है। रिपोर्टों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समारोह में शामिल हो सकते हैं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह पहले ही राज्य-स्तरीय समन्वय बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं। राजभवन से लेकर गांधी मैदान तक प्रशासनिक मशीनरी पूरी सक्रियता के साथ व्यवस्था सुनिश्चित करने में जुटी है।
मंत्रिमंडल गठन को लेकर भी कयास जारी हैं। संवैधानिक सीमाओं के अनुरूप बिहार सरकार में मंत्रियों की अधिकतम संख्या तय है, जिसके चलते गठबंधन को सीटों और पदों के संतुलित वितरण की रणनीति बनानी पड़ रही है। माना जा रहा है कि सरकार में पुराने अनुभवी चेहरों के साथ कुछ नए नेताओं को भी शामिल किया जाएगा, जिससे सामाजिक और राजनीतिक संतुलन और मजबूत हो सके। आगामी दिनों में विभागों की आधिकारिक सूची जारी होते ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि किन नेताओं को कौन-से प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति इस समय परिवर्तन के निर्णायक मोड़ पर है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली यह नई सरकार राज्य की नीतियों, प्रशासनिक दिशा और आने वाले वर्षों की राजनीतिक रणनीतियों पर गहरा प्रभाव डालेगी। जनता की निगाहें अब शपथ-ग्रहण और जल्द घोषित होने वाले विभाग-विभाजन पर टिकी हैं, जिससे शासन के अगले अध्याय की तस्वीर सामने आएगी।












