गाज़ा में लंबे समय से जारी संघर्ष और मानवीय संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका की ओर से प्रस्तुत गाज़ा शांति-योजना को मंज़ूरी दे दी है। इस योजना के पारित होने के साथ ही गाज़ा में एक अंतरराष्ट्रीय ‘स्टैबिलाइज़ेशन फ़ोर्स’ (ISF) की तैनाती का रास्ता खुल गया है, जिसका उद्देश्य युद्धविराम को लागू करना, प्रशासनिक ढांचे को स्थिर करना और नागरिक सुरक्षा के लिए बुनियादी व्यवस्था तैयार करना है। प्रस्ताव पर हुए मतदान में अधिकांश देशों ने समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने मतदान से परहेज़ किया।
अमेरिका ने इस योजना को संघर्ष के बाद गाज़ा की पुनर्स्थापना और दीर्घकालिक शांति स्थापित करने की दिशा में अहम कदम बताया है। इस प्लान में सुरक्षा प्रबंधन, सीमाओं की निगरानी, नागरिक प्रशासन को संक्रमणकालीन रूप से संभालने के लिए एक अस्थायी प्रशासनिक बोर्ड और पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे प्रावधान शामिल हैं। अमेरिका ने दावा किया कि यह मॉडल गाज़ा में स्थिरता और व्यवस्था बहाली के लिए व्यावहारिक समाधान पेश करता है।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र की मंज़ूरी एक अहम कदम है, लेकिन इस योजना को लेकर क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। हमास ने इसे सख़्त शब्दों में खारिज करते हुए विदेशी हस्तक्षेप की कोशिश बताया और कहा कि गाज़ा का प्रशासन फिलिस्तीनियों के हाथ में रहना चाहिए। इज़राइल के भीतर भी इस पर अलग-अलग मत हैं—जहाँ कुछ नेता इसे सुरक्षा हितों के लिए उपयोगी मानते हैं, वहीं कई इसे राष्ट्रीय नियंत्रण के लिए चुनौती बताते हुए सतर्कता की सलाह दे रहे हैं। दूसरी ओर मिस्र, जॉर्डन और तुर्की जैसे क्षेत्रीय देशों ने इसमें तकनीकी सुधारों और फिलिस्तीनी स्वायत्तता की अधिक स्पष्ट गारंटी की माँग की है।
योजना के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय बल की वास्तविक तैनाती है, क्योंकि अभी तक किसी देश ने प्रत्यक्ष रूप से सैनिक भेजने की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। कई देशों का कहना है कि वे मैनडेट, भूमिका, शर्तें और सुरक्षा ढाँचे की स्पष्टता के बाद ही सैनिक योगदान पर विचार करेंगे। इसके अलावा स्थानीय समूहों का प्रतिरोध, हमास का विरोध, इज़राइली सुरक्षा शर्तें, और मानवीय संकट से जुड़ी जमीनी कठिनाइयाँ अभी भी गंभीर अवरोध बने हुए हैं।
फिर भी, विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि ISF और अस्थायी प्रशासन सफलतापूर्वक स्थापित हो पाता है, तो यह गाज़ा में मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति, बुनियादी ढाँचे के पुनर्निर्माण, और नागरिक जीवन की सामान्य व्यवस्था बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। योजना का अगला चरण अंतरराष्ट्रीय बल की संरचना तय करने, उसमें शामिल देशों की सूची तय करने, अस्थायी प्रशासन की जिम्मेदारियों की परिभाषा करने और स्थानीय पक्षों के साथ युद्धविराम व हथियारबंदी संबंधी समझौते तक पहुँचना होगा।
इस मंज़ूरी ने गाज़ा संकट के समाधान की दिशा में कूटनीतिक मोड़ अवश्य दिया है, लेकिन इसकी सफलता कई राजनीतिक, सुरक्षा और स्थानीय चुनौतियों पर निर्भर करेगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि यह योजना जमीनी स्तर पर कैसे और कितनी जल्दी आगे बढ़ती है।













