88 घंटे का ऑपरेशन सिंदूर फिर चर्चा में; सेना प्रमुख ने पड़ोसी देश को दी सख्त चेतावनी

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थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में सुरक्षा मंच पर बोलते हुए साफ कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक ट्रेलर था, जिसे भारतीय सेना ने महज 88 घंटे में पूरा किया था। उनके इस बयान ने स्पष्ट संकेत दिया कि भारत अब आतंकवाद और सीमा पार की साजिशों के खिलाफ कहीं अधिक निर्णायक नीति पर आगे बढ़ रहा है। जनरल द्विवेदी ने बताया कि यह ऑपरेशन उस समय शुरू किया गया था जब पहलगाम में हुए हमले के बाद देश में गुस्सा था और खुफिया इनपुट्स ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सक्रिय आतंकी ढाँचों की गतिविधि उजागर की थी। इसके बाद सेना ने समन्वित स्ट्राइक मिशन चलाकर उन ठिकानों को निशाना बनाया, जिनका इस्तेमाल आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए किया जा रहा था।

सेना प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर ने दुश्मन की क्षमताओं पर गहरा असर छोड़ा और सीमा पार मौजूद आतंकी नेटवर्क को भारी नुकसान पहुंचाया। उनके अनुसार, इस अभियान ने यह संदेश दिया कि भारत अब किसी भी उकसावे का जवाब तुरंत और सटीक कार्रवाई के साथ देने की क्षमता रखता है। उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि अगर भविष्य में देश की सुरक्षा से समझौता करने की कोशिश हुई तो सेना पहले से भी अधिक सटीक और शक्तिशाली कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।

ऑपरेशन के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आने के संकेत मिले हैं, जिसे सुरक्षा एजेंसियाँ इस रणनीतिक कदम का सकारात्मक परिणाम मान रही हैं। बेहतर खुफिया साझेदारी, स्थानीय स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था और सेना की तेजी से प्रतिक्रिया प्रणाली ने इस बदलाव को और मजबूत किया है। वहीं, इस अभियान और सेना प्रमुख के बयान ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी नई चर्चा को जन्म दिया है। कई विशेषज्ञ इसे भारत की बदलती सुरक्षा नीति, निर्णायक नेतृत्व और सीमा पर उभरते नए समीकरणों का मजबूत संकेत मान रहे हैं।

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