अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आर्थिक प्रगति को लगातार सराहना मिल रही है। वैश्विक संस्थाओं ने माना है कि भारत आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में भारत की वृद्धि दर को मजबूत बताते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिरता और क्षमता का उदाहरण पेश कर रही है। IMF का मानना है कि निवेश, घरेलू मांग और वित्तीय स्थिरता आने वाले समय में भारत की आर्थिक गति को और बढ़ावा देंगे। भारत के हालिया तिमाही आंकड़े भी इस रुझान की पुष्टि करते हैं। जनवरी–मार्च 2025 तिमाही में 7.4% की शानदार GDP वृद्धि ने यह दिखाया है कि भारत की आर्थिक स्थिति अनुमान से काफी बेहतर बनी हुई है। विनिर्माण, निर्माण और सार्वजनिक निवेश जैसे क्षेत्रों में निरंतर विस्तार ने इस वृद्धि को गति दी है।
विश्व बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में भारत की आर्थिक संरचना और नीतिगत सुधारों की प्रशंसा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय प्रणाली में मजबूती, बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश और लगातार सुधारों ने भारत की दीर्घकालिक विकास क्षमता को बढ़ाया है। हालांकि, विश्व बैंक ने यह भी संकेत दिया है कि यदि भारत को उच्च-आय वाले देशों की श्रेणी में पहुंचना है, तो उसे लंबी अवधि तक तेज़ सुधारों और निजी निवेश में वृद्धि की आवश्यकता होगी। इसी बीच WTO के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई वैश्विक आर्थिक नेताओं ने यह बात स्वीकार की है कि व्यापार सुधारों और वैश्विक बाज़ारों में बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता के कारण भारत आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
इन सकारात्मक संकेतों के बावजूद कुछ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। वैश्विक बाज़ार में मंदी, व्यापारिक तनाव और निजी निवेश की धीमी गति भारत की वृद्धि पर दबाव डाल सकती है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यदि भारत नीति-निर्माण में संतुलन बनाए रखते हुए निवेश को बढ़ावा दे, व्यापार बाधाएँ कम करे और संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करे, तो देश लंबे समय तक उच्च विकास दर बनाए रख सकता है। कुल मिलाकर, यह स्पष्ट हो गया है कि दुनिया अब भारत को तेज़ी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में देख रही है और कई देशों ने openly इसकी सराहना की है। भारत की निरंतर तेज़ वृद्धि वैश्विक निवेशकों, आर्थिक संस्थाओं और नीति-निर्माताओं के लिए उम्मीद का केंद्र बन गई है, जो बताता है कि भारत आने वाले वर्षों में विश्व अर्थव्यवस्था में और अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने वाला है।













