दिल्ली में ऐतिहासिक संरचनाओं के पास हुए हालिया विस्फोट ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। शुरुआती जांच के बाद मामले ने अचानक बड़ा रूप ले लिया और कई राज्यों तक फैले एक संभावित आतंकी नेटवर्क की ओर संकेत मिलने लगे। जांच टीमों को जिस तरह के सबूत और गतिविधियाँ मिलीं, उनसे स्पष्ट हो गया कि यह साजिश केवल शहर तक सीमित नहीं थी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों, स्थानीय संपर्कों और बाहरी राज्यों के नेटवर्क से भी संचालित हो रही थी।
जांच के केन्द्र में हरियाणा के फ़रिदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी भी आ गई है। कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ कर्मचारी, मेडिकल विंग से संबंधित कुछ लोग और परिसर के आसपास की गतिविधियाँ संदिग्ध पाई गईं। इसी आधार पर सुरक्षा एजेंसियों ने विश्वविद्यालय परिसर, हॉस्टल और संबद्ध अस्पतालों में तलाशी अभियान चलाया। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि संस्था का किसी भी अवैध गतिविधि से कोई संबंध नहीं है, लेकिन एजेंसियां अभी भी कई दस्तावेज़ों और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच कर रही हैं।
तलाशी के दौरान कई स्थानों से डेटोनेटर और अमोनियम नाइट्रेट जैसी विस्फोटक सामग्री मिलने की सूचनाएँ सामने आईं। इतनी भारी मात्रा में बरामदगी ने जांच को और गंभीर बना दिया। एजेंसियों का संदेह है कि इस सामग्री का उपयोग बड़े पैमाने पर विस्फोट की कोशिश या पिछले धमाकों में किया गया हो सकता है। इस कारण दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, राज्य पुलिस और बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भी इस मामले में शामिल हो गई।
जांच का दायरा बढ़ने के साथ यह सामने आया कि संदिग्धों के कई संपर्क कश्मीर, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से जुड़े हो सकते हैं। जिन इलाकों में संदिग्धों के परिवार या परिचित रहते हैं, वहाँ स्थानीय पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। सुरक्षा एजेंसियाँ यह पता लगाने में जुटी हैं कि किसने ठहरने की जगह, गाड़ी, नकदी या मोबाइल सपोर्ट जैसा स्थानीय सहयोग प्रदान किया। ग्रामीण इलाकों में अचानक बढ़ी पुलिस गतिविधि और पूछताछ ने वहाँ के स्थानीय माहौल को भी प्रभावित किया है।
जांच के दौरान कुछ मेडिकल प्रोफेशनल, विश्वविद्यालय स्टाफ और बाहरी व्यक्तियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। एक संदिग्ध के विदेश भागने की तैयारी से जुड़े दस्तावेज़ भी पकड़े गए, जबकि एक अन्य मामले में विस्फोट में उपयोग की गई कार के डीएनए लिंक की जानकारी सामने आई। इन सुरागों ने एजेंसियों को नेटवर्क के असली संचालकों और उनके फंडिंग स्त्रोतों के करीब पहुँचाया है।
इस मामले के बाद विश्वविद्यालय और उससे जुड़े शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका और निगरानी पर भी सवाल उठने लगे हैं। कुछ नियामक निकायों ने विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई की है और संस्थान को अपने प्रक्रियात्मक दावों पर स्पष्टीकरण देना पड़ा है। प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि वह जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग कर रहा है, लेकिन बाहरी दबाव के चलते संस्थागत छवि को नुकसान पहुँचा है।
इन खुलासों के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा और सतर्कता और बढ़ा दी गई है। कई संवेदनशील इलाकों में पुलिस की तैनाती बढ़ाई गई है और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष टीमों की व्यवस्था की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि जांच की पारदर्शिता और समुदायों के बीच संवाद ही यह तय करेगा कि मामले का सामाजिक प्रभाव कितना गहरा होगा।
मामला अभी जांच के अधीन है और फोरेंसिक रिपोर्ट, डिजिटल डेटा, आर्थिक लेन-देन और अंतरराज्यीय नेटवर्क जैसे कई पहलुओं पर एजेंसियों का काम जारी है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियाँ तथा महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियाँ इस पूरी साजिश के मास्टरमाइंड और उनके स्थानीय मददगारों तक पहुंचने के लिए तेजी से काम कर रही हैं।












