बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कटिहार में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया “कट्टा सरकार” वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। प्रियंका ने कहा कि देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति को अपने शब्दों की गरिमा बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि इस पद की प्रतिष्ठा पूरे राष्ट्र की गरिमा से जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की इस तरह की भाषा राजनीति को दूषित करती है और लोकतंत्र की संवाद संस्कृति को कमजोर करती है। प्रियंका ने आरोप लगाया कि जब जनता महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं पर जवाब चाहती है, तब प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी ध्यान भटकाने वाली भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में चुनाव आयोग और मतदाता सूची से जुड़े मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के नाम पर बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं, जिससे लाखों लोगों का मतदान अधिकार खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने दावा किया कि लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया “वोट चोरी” का प्रयास है और इससे लोकतंत्र की नींव हिल सकती है। प्रियंका ने लोगों से सतर्क रहने और अपने वोट की रक्षा करने की अपील की।
अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने महागठबंधन की एकजुटता पर भी जोर दिया और कहा कि यह गठबंधन जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” का जिक्र करते हुए कहा कि यह अभियान सिर्फ चुनाव जीतने का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को बचाने का आंदोलन है। प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं की आवाज को ताकत देने का काम कर रहे हैं।
प्रियंका के इस तीखे भाषण के बाद बिहार का राजनीतिक माहौल और गरमाता हुआ नजर आया। कटिहार और आसपास के इलाकों में महागठबंधन समर्थकों में नई ऊर्जा देखने को मिली, वहीं भाजपा नेताओं ने प्रियंका के आरोपों को निराधार बताया। पीएम मोदी और प्रियंका गांधी के बीच इस जुबानी जंग से बिहार की सियासत में नई हलचल मच गई है, जिससे आगामी चुनाव और भी दिलचस्प होते जा रहे हैं।













