सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ती आवारा पशुओं की समस्या को गंभीर मानते हुए सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और नगरपालिकाओं को सख्त निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने कहा कि यात्रियों और राहगीरों की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए सभी संबंधित निकाय यह सुनिश्चित करें कि सड़कों पर आवारा मवेशी या कुत्ते न दिखाई दें। कोर्ट ने इन संस्थाओं से तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने और उसके अनुपालन की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान (suo motu) में उठाया गया था। न्यायालय ने इस दौरान पाया कि देश के कई हिस्सों में सड़कों पर पशुओं की मौजूदगी के कारण सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि यह न केवल ट्रैफिक सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी परिणाम है। कोर्ट ने सभी राज्यों को पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियमों के तहत अभियान चलाने, शेल्टर हाउस (आश्रयगृह) की स्थिति सुधारने, तथा पशुओं के टीकाकरण और नसबंदी की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कई राज्यों और शहरी निकायों ने अब तक आवश्यक रिपोर्ट और हलफनामे प्रस्तुत नहीं किए हैं, जो अदालत के आदेशों की अवमानना है। इसलिए अदालत ने कुछ राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केवल घोषणाओं से समस्या का समाधान नहीं होगा, इसके लिए ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई और नियमित निगरानी आवश्यक है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वह हाईवे पर नियमित पेट्रोलिंग की व्यवस्था करे और आवारा पशुओं को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाए। शहरी निकायों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि पकड़े गए पशुओं को उचित देखरेख, टीकाकरण और नसबंदी के बाद ही शेल्टर में रखा जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी कार्रवाई में पशुओं के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं होना चाहिए; सभी उपाय मानवीय और कानूनसम्मत तरीके से किए जाएं।
अदालत ने आगे कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब राज्य सरकारें और नगरपालिकाएं दीर्घकालिक योजना बनाकर पर्याप्त शेल्टर होम्स, गोशालाओं और पशु स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना करें। साथ ही, नागरिकों की शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन या पोर्टल की व्यवस्था की जाए ताकि आवारा पशुओं से संबंधित शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो सके। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आदेशों का पालन नहीं हुआ तो भविष्य में और सख्त कदम उठाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उम्मीद की जा रही है कि राज्यों में प्रशासनिक स्तर पर तत्परता बढ़ेगी और सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी। अदालत ने साफ कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस दिशा में किसी भी तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।













