कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौता भारत के लिए “दर्दनाक अनुभव” साबित हो सकता है। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार इस समझौते से जुड़ी जानकारी को छिपा रही है और देश की जनता को इसके वास्तविक असर से अनजान रखा गया है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन खुले तौर पर भारत के साथ बड़े व्यापारिक समझौते की बात कर रहे हैं, तब केंद्र सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। पार्टी ने तंज कसते हुए कहा कि क्या अब देश को अपने आर्थिक निर्णयों की जानकारी व्हाइट हाउस से मिलेगी?
कांग्रेस का कहना है कि यह संभावित व्यापार समझौता भारत की अर्थव्यवस्था के कई संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कृषि, औषधि नीति, डेटा सुरक्षा और सार्वजनिक खरीद प्रणाली पर गहरा असर डाल सकता है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्दबाज़ी में किसी ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिकी शर्तें प्रमुख हों, तो इससे देश के किसानों, छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) और आम उपभोक्ताओं को भारी नुकसान हो सकता है। कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि इस समझौते से भारतीय कृषि उत्पादों पर टैरिफ में बदलाव, औषधि क्षेत्र में पेटेंट नियमों में ढील और डेटा प्रवाह से संबंधित नए प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं, जिनका सीधा असर भारत की स्वायत्त आर्थिक नीतियों पर पड़ेगा।
पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि भारत सरकार को ऐसे किसी भी समझौते को अंतिम रूप देने से पहले संसद को विश्वास में लेना चाहिए और इसकी शर्तों पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से पारदर्शिता की मांग करते हुए कहा कि समझौते का प्रारूप (ड्राफ्ट) सार्वजनिक किया जाए ताकि विशेषज्ञों, किसानों और उद्योग संगठनों से राय ली जा सके। कांग्रेस का कहना है कि किसी भी द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौते से पहले राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
आर्थिक विशेषज्ञों ने भी कांग्रेस की आशंकाओं से सहमति जताते हुए कहा है कि यदि इस समझौते में टैरिफ कटौती, सरकारी खरीद में अमेरिकी दबाव या डेटा उपयोग की स्वतंत्रता जैसी शर्तें शामिल होती हैं, तो इससे भारतीय बाजार पर विदेशी कंपनियों का नियंत्रण बढ़ सकता है। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएँ लंबे समय से कृषि उत्पादों, डेयरी और डिजिटल नीति जैसे मुद्दों पर अटकी हुई हैं, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वे देश के हितों की रक्षा सुनिश्चित करें और किसी भी निर्णय से पहले उसकी पूरी रूपरेखा जनता के सामने रखें। पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने बिना व्यापक परामर्श और समीक्षा के यह समझौता किया, तो उसके दीर्घकालिक नतीजे भारत के आर्थिक ढांचे और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को कमजोर कर सकते हैं।













