उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुँचने के बाद कांग्रेस पार्टी ने गहरी चिंता व्यक्त की है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह केवल पर्यावरणीय संकट नहीं है, बल्कि अब यह सीधे मानव स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर हमला कर रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इसे ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ करार दिया है और कहा कि प्रदूषण लाखों लोगों की जिंदगियों को प्रभावित कर रहा है, इसलिए तुरंत सामूहिक और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रदूषण को गंभीर खतरे के रूप में देखा और इसकी रोकथाम के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की। वहीं, शशि थरूर ने दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताते हुए केंद्र सरकार की निंदा की और इसे ‘अमानवीय’ बताया। उदित राज ने भी बढ़ते प्रदूषण के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार के पास कोई ठोस समाधान नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से हृदय रोग, स्ट्रोक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और मानसिक समस्याएं जैसे डिमेंशिया और अवसाद होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि खराब AQI सीधे दिमाग और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिससे जनस्वास्थ्य पर गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
हालांकि, केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच प्रदूषण के कारणों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। पराली जलाने, पटाखों की बिक्री और औद्योगिक प्रदूषण को लेकर दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। इस बीच दिल्ली-एनसीआर में AQI 335 तक पहुंच चुका है, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। इसके चलते ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत Stage-I प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिनमें निर्माण कार्यों पर रोक, वाहनों की संख्या में कमी और स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प शामिल है।
कांग्रेस ने प्रदूषण की बढ़ती गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से तुरंत और प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि यह केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि मानवाधिकार और स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जिसे नजरअंदाज करना अब निहायत खतरनाक साबित हो सकता है।












