कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के भीतर जल्द ही राजनीतिक हलचल देखने को मिल सकती है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संकेत दिए हैं कि राज्य कैबिनेट में फेरबदल या विस्तार नवंबर के बाद किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने कुछ महीने पहले ही कैबिनेट विस्तार का सुझाव दिया था, लेकिन उन्होंने उस समय यह निर्णय लिया था कि यह कदम सरकार के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही उठाया जाएगा। सिद्धारमैया के इस बयान के बाद कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से अटकलों का दौर शुरू हो गया है कि किन नेताओं को मंत्रीमंडल में जगह मिल सकती है और किन चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे कैबिनेट में विस्तार तब करेंगे जब सरकार आधा कार्यकाल पूरा कर लेगी। उन्होंने कहा कि अब नवंबर के बाद इस पर पार्टी आलाकमान से चर्चा की जाएगी और उसी आधार पर आगे का फैसला होगा। उनके इस बयान के बाद यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि यह फेरबदल पार्टी की चुनावी रणनीति और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, यह संभावित बदलाव न केवल शासन की दक्षता बढ़ाने के लिए बल्कि आगामी स्थानीय निकाय और नगर निगम चुनावों से पहले कांग्रेस की स्थिति को और मजबूत करने के उद्देश्य से भी किया जा सकता है। कई विधायकों ने कैबिनेट में शामिल होने की इच्छा जताई है और वे मुख्यमंत्री के संकेतों को लेकर उत्साहित हैं। वहीं, कुछ मौजूदा मंत्रियों में इसको लेकर चिंता भी देखी जा रही है कि कहीं उन्हें पद से हटाया न जाए।
राज्य में यह भी चर्चा है कि कैबिनेट फेरबदल का यह फैसला पार्टी के भीतर चल रहे सत्ता संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। खास तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच संभावित “ढाई-ढाई साल” फॉर्मूले की अटकलें फिर से तेज हो गई हैं। हालांकि कांग्रेस ने इस तरह के किसी समझौते से साफ इनकार किया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मुद्दा अभी भी पार्टी की आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर रहा है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया 16 नवंबर को दिल्ली जाने वाले हैं, जहां वे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान कैबिनेट विस्तार पर विस्तृत चर्चा हो सकती है। इसके अलावा, कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर में आयोजित होने की संभावना है, जिसके पहले कैबिनेट में फेरबदल या विस्तार किए जाने की पूरी संभावना जताई जा रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कैबिनेट विस्तार न केवल राजनीतिक संतुलन बनाने का प्रयास होगा बल्कि इससे कांग्रेस को आगामी चुनावों में नई ऊर्जा भी मिल सकती है। मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में आयोजित विधायकों की डिनर मीटिंग को भी इसी राजनीतिक हलचल से जोड़कर देखा जा रहा है। कुल मिलाकर, सिद्धारमैया के संकेतों ने राज्य की राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है और अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नवंबर के बाद कर्नाटक की सरकार में कौन से नए चेहरे शामिल होते हैं और किन मंत्रियों की कुर्सी खतरे में पड़ती है।













