वैश्विक वित्तीय निगरानी: FATF ने नेपाल को चेताया, सुधार नहीं तो बढ़ेगी कार्रवाई

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वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी हालिया बैठक में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर नियंत्रण के लिए जारी ब्लैकलिस्ट और ग्रे-सूची को अपडेट किया है। पेरिस में हुई इस बैठक में संगठन ने उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार को एक बार फिर “उच्च-जोखिम” यानी ब्लैकलिस्ट में बरकरार रखा है, जबकि नेपाल समेत 18 देशों को “ग्रे-सूची” में बनाए रखा गया है। FATF ने कहा कि इन देशों को अभी अपनी एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और काउंटर टेरर फाइनेंसिंग (CFT) प्रणालियों में और सुधार करने की आवश्यकता है।

ब्लैकलिस्ट में शामिल उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार को ऐसे देश माना गया है जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इन पर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और बैंकिंग भागीदारी को लेकर कई प्रतिबंध लागू हैं। FATF ने इन देशों के खिलाफ कठोर निगरानी और अतिरिक्त जांच उपायों को जारी रखने की सिफारिश की है। ईरान और उत्तर कोरिया पर पहले से ही “काउंटर-मेज़र्स” लागू हैं, जिनका उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित बनाना है।

दूसरी ओर, FATF ने नेपाल समेत 18 देशों को ग्रे-सूची में रखा है। नेपाल को फरवरी 2025 में इस सूची में शामिल किया गया था और संगठन ने नेपाल सरकार से मनी लॉन्ड्रिंग व आतंक वित्तपोषण के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपेक्षा की है। FATF की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल ने कुछ नीतिगत सुधार किए हैं, लेकिन अभी भी व्यावहारिक क्रियान्वयन और नियामकीय सख़्ती की कमी है। नेपाल के लिए यह सूची में बने रहना चिंता का विषय है क्योंकि इसका असर उसकी बैंकिंग व्यवस्था, विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन पर पड़ सकता है।

इस बैठक में FATF ने कुछ देशों को राहत भी दी है। दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, मोज़ाम्बिक और बुर्किना फासो को ग्रे-सूची से बाहर कर दिया गया है। संगठन ने इन देशों द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने AML और CFT नीतियों को मज़बूत करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति की है। इन देशों को सूची से बाहर किया जाना उनके निवेश माहौल और अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

ग्रे-सूची और ब्लैकलिस्ट दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डालती हैं। ग्रे-सूची में शामिल देशों को अंतरराष्ट्रीय बैंकों और निवेशकों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। निवेशक ऐसे देशों में धन लगाने से पहले अतिरिक्त जांच करते हैं, जिससे व्यापारिक माहौल प्रभावित होता है। ब्लैकलिस्ट में आने वाले देशों पर तो वैश्विक वित्तीय प्रतिबंध लागू हो जाते हैं, जिससे उनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार और मुद्रा लेन-देन पर गहरा असर पड़ता है।

नेपाल के आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रे-सूची से बाहर निकलने के लिए सरकार को ग्राहक-पहचान (KYC) प्रणाली को और मज़बूत करना होगा, वित्तीय अपराधों पर निगरानी बढ़ानी होगी और लाभार्थी स्वामित्व से जुड़ी पारदर्शिता लानी होगी। FATF ने नेपाल को जल्द सुधारात्मक कदम उठाने की चेतावनी भी दी है। अगर नेपाल इन शर्तों को पूरा नहीं कर पाता, तो भविष्य में उसे और कठोर आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

FATF का यह कदम इस बात का संकेत देता है कि संगठन अब देशों की प्रगति के आधार पर सूचियों में संशोधन कर रहा है। जो देश अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुधार करते हैं, उन्हें राहत मिल रही है, जबकि जो देश जोखिम बने हुए हैं, उन पर निगरानी बढ़ाई जा रही है। इस ताज़ा अपडेट से स्पष्ट है कि FATF वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को पारदर्शी और सुरक्षित बनाए रखने के अपने मिशन पर दृढ़ है।

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