मौसम विभाग का अलर्ट: बंगाल की खाड़ी में बन सकता है चक्रवात, मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह

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बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बन रहा है, जो आने वाले दिनों में गहरा अवदाब और फिर चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, यह सिस्टम 26 से 27 अक्टूबर के बीच तीव्र होकर ‘डीप डिप्रेशन’ में बदल सकता है। इसके प्रभाव से ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और झारखंड सहित कई तटीय राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने 27 अक्टूबर से तीन दिनों तक यानी 27 से 29 अक्टूबर तक व्यापक बारिश और तेज़ हवाओं की चेतावनी जारी की है।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रणाली पश्चिम-उत्तर दिशा में आगे बढ़ रही है और यदि हवा की गति अनुकूल रही तो यह चक्रवात में परिवर्तित हो सकती है। इसके चलते बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास के समुद्री क्षेत्रों में लहरें ऊंची उठेंगी और समुद्री यातायात पर असर पड़ेगा। मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाने की सख्त सलाह दी गई है। तटीय इलाकों के प्रशासन को भी अलर्ट पर रखा गया है और आपदा प्रबंधन टीमें राहत कार्यों के लिए तैयार रखी गई हैं। जिन जिलों में जलभराव या बाढ़ की स्थिति बन सकती है, वहां निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की तैयारी चल रही है।

भारतीय मौसम विभाग ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों—बालासोर, पुरी, केंद्रपाड़ा, मयूरभंज, मिदनापुर और दक्षिण 24 परगना में भारी वर्षा के साथ 50 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की संभावना जताई है। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय हिस्सों में भी मूसलाधार बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविर, बिजली-बैकअप और जलनिकासी व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी है।

इसी बीच, देश के उत्तरी और पर्वतीय इलाकों में सर्दी का असर तेजी से बढ़ने लगा है। पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों—गुलमर्ग, सोनमर्ग, केदारनाथ, बद्रीनाथ और लाहौल-स्पीति में हल्की से मध्यम बर्फबारी दर्ज की गई है। इसके चलते न्यूनतम तापमान में गिरावट आई है और मैदानों में भी सर्द हवाओं ने लोगों को ठंड का अहसास कराना शुरू कर दिया है।

मौसम विभाग का कहना है कि अगले 24 से 48 घंटे चक्रवातीय प्रणाली की दिशा और तीव्रता तय करने में अहम होंगे। ट्रैक में बदलाव की संभावना को देखते हुए लोगों को आधिकारिक मौसम अपडेट और सरकारी अलर्ट पर ध्यान देने की सलाह दी गई है। तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने घरों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत रखने और आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करने के निर्देश दिए गए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा करने वालों को भी मौसम की स्थिति देखकर ही मार्ग पर निकलने की सलाह दी गई है, क्योंकि कई मार्गों पर बर्फबारी से यातायात प्रभावित हो सकता है।

देश के कई हिस्सों में एक ओर चक्रवात का खतरा मंडरा रहा है, तो दूसरी ओर पहाड़ों पर बर्फबारी से सर्दी का असर बढ़ने लगा है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक यह बदलाव मौसमी चक्र का हिस्सा है, लेकिन समुद्री तूफान की तीव्रता और पश्चिमी विक्षोभ की गतिविधि एक साथ बढ़ने से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में देश के कई इलाकों में मौसम का मिजाज तेजी से बदल सकता है।

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