कर्नाटक के चित्तपुर में आज प्रस्तावित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का पथ-संचलन (मार्च) नहीं निकलेगा। स्थानीय प्रशासन ने शनिवार देर रात इस कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी। प्रशासन का कहना है कि एक ही दिन और एक ही मार्ग पर भीम आर्मी तथा इंडियन दलित पैंथर्स जैसे अन्य संगठनों ने भी मार्च निकालने की अनुमति मांगी थी, जिससे शहर में तनाव और टकराव की संभावना बन रही थी। कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के डर से चित्तपुर तहसील प्रशासन ने एहतियातन आरएसएस के मार्च को फिलहाल स्थगित करने का आदेश जारी किया।
इस फैसले के बाद राज्य के मंत्री और चित्तपुर से कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे ने बयान जारी कर कहा कि यह निर्णय जनहित और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है। उन्होंने खुलासा किया कि पिछले कुछ दिनों में उन्हें कई धमकी भरे फोन कॉल आए और अभद्र भाषा में बात की गई। प्रियांक खड़गे ने कहा कि आरएसएस का मार्च पहले कभी विवादित नहीं रहा, लेकिन इस बार कुछ समूहों द्वारा तनाव भड़काने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने प्रशासन के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकता जनता की सुरक्षा और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखना है।
वहीं, आरएसएस ने प्रशासन के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे संगठन की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश बताया। संघ की ओर से कहा गया कि उनका पथ-संचलन पूरी तरह शांतिपूर्ण होता है और किसी भी तरह की हिंसा या अशांति की आशंका नहीं रहती। संगठन ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रशासन को नई तारीख तय करने का निर्देश दिया। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि अदालत ने 2 नवंबर को मार्च निकालने की अनुमति दी है, जबकि कुछ अन्य सूत्रों के अनुसार मामला अभी विचाराधीन है।
इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि चित्तपुर शहर में धारा 144 लागू नहीं की गई है, लेकिन सभी संवेदनशील इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने यह भी कहा कि किसी भी संगठन को कानून व्यवस्था भंग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी और सभी से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
राजनीतिक स्तर पर इस मुद्दे ने नया मोड़ ले लिया है। भाजपा नेताओं ने इसे “संघ के अधिकारों पर प्रहार” बताया और कहा कि कांग्रेस सरकार राजनीतिक दुर्भावना से काम कर रही है। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा और संघ जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। प्रियांक खड़गे ने कहा कि सरकार किसी भी संगठन के खिलाफ नहीं है, लेकिन यदि किसी गतिविधि से सामाजिक तनाव फैलने का खतरा होता है तो प्रशासन को हस्तक्षेप करना ही पड़ता है।
चित्तपुर में आरएसएस के मार्च पर रोक के बाद शहर में फिलहाल शांति बनी हुई है। पुलिस ने स्थिति पर करीबी नजर रखी हुई है और अधिकारियों का कहना है कि आगामी दिनों में अदालत के निर्देशों के अनुसार ही अगला कदम तय किया जाएगा। कुल मिलाकर, चित्तपुर में आज का दिन प्रशासन और आरएसएस के बीच टकराव के साये में गुजरा, लेकिन सरकार और स्थानीय तंत्र की सख्ती से किसी अप्रिय स्थिति को टालने में सफलता मिली।













