आरएसएस और भीम आर्मी के मार्च पर रोक, कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिया समय अलग करने का आदेश

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कर्नाटक के चित्तपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भीम आर्मी के प्रस्तावित मार्च को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को देखते हुए रोक लगा दी है। प्रशासन का मानना है कि एक ही दिन दो बड़े संगठनों के मार्च होने से इलाके में तनाव फैलने और शांति भंग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। चित्तपुर के तहसीलदार नागय्या हिरेमठ ने एक आदेश जारी कर दोनों संगठनों को एक ही दिन मार्च की अनुमति देने से मना किया। आदेश में कहा गया कि अगर आरएसएस और भीम आर्मी दोनों एक साथ मार्च निकालते हैं तो इससे सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, और स्थानीय लोगों के बीच डर और असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्रशासन की खुफिया रिपोर्ट में भी यह संभावना जताई गई थी कि दोनों संगठनों के एक साथ मार्च निकालने से झड़पें हो सकती हैं, जिससे इलाके में कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

इस आदेश के खिलाफ मामला कर्नाटक उच्च न्यायालय में पहुंचा, जहां न्यायालय ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए कि दोनों संगठनों को अलग-अलग समय स्लॉट प्रदान किए जाएं, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी भी तरह का तनाव उत्पन्न न हो। न्यायालय ने यह भी कहा कि दोनों संगठनों को अपनी गतिविधियों के लिए समान अवसर मिलना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी प्रशासन की जिम्मेदारी है कि सार्वजनिक सुरक्षा और शांति बनी रहे। अदालत ने आरएसएस को 2 नवंबर के लिए एक नया अनुमति आवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसे संबंधित अधिकारियों द्वारा विचार किया जाएगा। इस तरह से अदालत ने प्रशासन और संगठनों के बीच संतुलन बनाकर शांति व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया है।

इस पूरे घटनाक्रम ने चित्तपुर में राजनीतिक हलचल को भी बढ़ा दिया है। चित्तपुर कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियंक खड़गे के निर्वाचन क्षेत्र में आता है, इसलिए इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने प्रशासन और सरकार के फैसले को मुद्दा बनाकर सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधने की तैयारी कर ली है। वहीं, दोनों संगठनों ने प्रशासन के निर्णय के प्रति अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करना शुरू कर दिया है। भीम आर्मी ने अपने कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने और हिंसा से दूर रहने की अपील की है, जबकि आरएसएस ने कानूनी रास्ता अपनाने और उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए अनुमति आवेदन पेश करने का संकेत दिया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि चित्तपुर जैसे संवेदनशील इलाके में किसी भी बड़े राजनीतिक या सामाजिक संगठन के मार्च के समय और तरीके का संतुलित निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रशासन का यह कदम, साथ ही न्यायालय का हस्तक्षेप, क्षेत्र में शांति और सामाजिक सामंजस्य बनाए रखने के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। इस मामले में आगे की स्थिति इस बात पर निर्भर करेगी कि राज्य सरकार और संगठनों के बीच किस प्रकार से समय स्लॉट और अनुमति को लेकर समझौता होता है और दोनों संगठन अपने प्रदर्शन के दौरान किस हद तक शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखते हैं।

कुल मिलाकर, चित्तपुर में आरएसएस और भीम आर्मी के मार्च को लेकर प्रशासन का निर्णय और उच्च न्यायालय का आदेश दोनों ही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए निर्णायक कदम हैं। यह घटनाक्रम स्थानीय लोगों, राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लिए यह संदेश देता है कि सार्वजनिक सुरक्षा और शांति प्राथमिकता है, और कानून के दायरे में रहते हुए ही संगठन अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि प्रशासन और संगठनों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित होता है और यह मामला सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से किस तरह प्रभावित होता है।

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