तेलंगाना: बस किराया बढ़ोतरी के खिलाफ BRS का जोरदार विरोध, केटीआर और नेताओं को पुलिस ने नजरबंद किया

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तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बीआरएस (Bharat Rashtra Samithi) ने राज्य सरकार के हालिया बस किराया वृद्धि के फैसले के खिलाफ आज व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने “चालो बस भवन” अभियान का एलान किया था, जिसके तहत नेताओं और कार्यकर्ताओं को बसों में बैठकर सार्वजनिक मार्गों से बस भवन तक मार्च करना था। हालांकि, पुलिस ने विरोध प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही कई वरिष्ठ नेताओं, जिनमें बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव (केटीआर) और विधायक टी. हरीश राव शामिल हैं, को अपने-अपने आवासों में नजरबंद कर लिया।

आरटीसी बसों के किराए में हाल में हुई वृद्धि के तहत शहर स्तर की बसों में न्यूनतम ₹5 से ₹10 तक की बढ़ोतरी की गई है। सरकार का कहना है कि यह कदम नई ई-बसेस और परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर के खर्च को पूरा करने के लिए आवश्यक था, जबकि BRS और विपक्ष का आरोप है कि इससे आम जनता, विशेषकर गरीब और मध्यम वर्ग, पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।

सुबह से ही नेताओं के आवासों के आसपास भारी पुलिस तैनाती की गई थी, जिससे कई जगहों पर पार्टी के निर्धारित कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न हुई। हालांकि, बाद में कुछ नेताओं को बसों में बैठकर मार्च करने की अनुमति दी गई, लेकिन कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुलिस ने रोक या हिरासत में लिया। इस बीच, कुछ क्षेत्रों में ट्रैफिक बाधित रहा और बस सेवाओं पर भी असर पड़ा।

BRS ने इस कार्रवाई की तीखी निंदा की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश राव ने कहा कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर पाबंदी जैसा है और जब तक किराया वापस नहीं लिया जाता, पार्टी सड़कों पर प्रदर्शन जारी रखेगी। केटीआर ने इसे ‘आपातकाल जैसी स्थिति’ करार दिया और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। BRS ने कहा कि वह आरटीसी कर्मचारियों और आम जनता के हित में संघर्ष जारी रखेगी।

पुलिस ने कहा कि भारी तैनाती का मकसद सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना और किसी भी तरह की हिंसा या अराजकता से बचना था। अधिकारियों ने बताया कि नेताओं के आवासों और प्रमुख सार्वजनिक मार्गों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। वहीं सरकार का कहना है कि किराया वृद्धि सार्वजनिक परिवहन को लंबी अवधि में टिकाऊ बनाने के लिए आवश्यक है। इस विरोध और नीति के बीच गतिरोध का असर सीधे रोज़ाना बसों पर निर्भर आम लोगों पर पड़ेगा।

बीआरएस ने स्पष्ट किया है कि वह शांति पूर्ण तरीके से विरोध जारी रखेगा और आवश्यकता पड़ने पर बड़े स्तर पर जन आंदोलन भी करेगी। इस बीच, राज्य के आम नागरिक और आरटीसी कर्मचारी इस मामले पर सरकारी और राजनीतिक निर्णयों की दिशा को लेकर चिंतित हैं।

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