दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी निभाते हुए शहीद हुए कर्मचारियों के परिवारों को सरकार की ओर से एक-एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम उन परिवारों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए है, जिन्होंने महामारी के कठिन समय में समाज और देश के लिए अपने परिजनों को खो दिया।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कोरोना काल में अनेक ऐसे मामले सामने आए, जहां सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई। उनके परिवार लंबे समय से मुआवजे की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अब एक नई पहल की है, जिसके अंतर्गत पुराने मामलों को प्राथमिकता से निपटाकर योग्य परिवारों को तुरंत सहायता दी जाएगी।
इस उद्देश्य से सरकार ने एक विशेष मंत्रियों का समूह (Group of Ministers) गठित किया है, जो सभी लंबित दावों की समीक्षा करेगा। यह समिति उन मामलों को तेज़ी से निपटाने का काम करेगी जिन पर अब तक निर्णय नहीं हुआ है। समिति की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि पात्र परिवारों तक वित्तीय सहायता जल्द से जल्द पहुंचे और प्रक्रिया में किसी भी तरह की देरी न हो।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पात्रता की पुष्टि के लिए विभागीय रिकॉर्ड, अस्पताल के दस्तावेज़ और अन्य आधिकारिक प्रमाणों का सत्यापन किया जाएगा। जिन परिवारों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है या जिनके दावे अधर में लटके हुए हैं, उन्हें अपनी फाइलें फिर से समिति के सामने पेश करने का अवसर दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि सभी दावों का निपटारा पारदर्शी ढंग से होगा और किसी भी पात्र परिवार को सहायता से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इस फैसले को संवेदनशील और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समर्थकों का कहना है कि यह कदम वास्तव में कोविड-काल में “जन-सेवा के शहीदों” को सम्मान देने की दिशा में ठोस प्रयास है। वहीं, आलोचक यह सवाल भी उठा रहे हैं कि कई परिवार इतने वर्षों से क्यों इंतज़ार कर रहे थे और प्रक्रिया कितनी पारदर्शी होगी। इस पर सरकार ने आश्वासन दिया है कि जांच और सत्यापन पूरी ईमानदारी और दस्तावेज़ों के आधार पर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस घोषणा को दिल्ली सरकार की मानवीय जिम्मेदारी से जोड़ते हुए कहा कि जिन परिवारों ने महामारी के दौरान सबसे बड़ा बलिदान दिया, उन्हें सम्मान और सहारा देना सरकार का कर्तव्य है। उनका कहना था कि यह मुआवजा न केवल आर्थिक सहयोग है, बल्कि उन सेवाकर्मियों को श्रद्धांजलि भी है जिन्होंने संकट के समय समाज की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
