पटना में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। राजद, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने सक्रियता दिखाते हुए कुछ सीटों पर पहले ही अपने प्रत्याशियों को लगभग तय कर लिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अब तक 17 सीटों पर नाम अंतिम रूप से तय किए जा चुके हैं। इनमें कई मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका देने का निर्णय शामिल है। कांग्रेस की यह चाल संकेत देती है कि वह महागठबंधन में अपनी हिस्सेदारी और स्थिति को लेकर स्पष्टता चाहती है और किसी भी संभावित दबाव से पहले ही अपना दावा मजबूत करना चाहती है।
महागठबंधन की हालिया बैठकों में केवल सीटें ही नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति और साझा मुद्दों पर भी लंबी चर्चा हुई है। कांग्रेस ने यह साफ किया है कि वह गठबंधन की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहती है और अंतिम सीट बंटवारा सहयोगियों की सहमति से ही होगा। हालांकि, पार्टी ने अपने स्तर पर उम्मीदवारों की पहचान और तैयारी शुरू कर दी है ताकि चुनाव के समय संगठनात्मक ढांचा मजबूत रहे। बैठकों में यह भी तय हुआ कि गठबंधन सामाजिक न्याय, किसानों की समस्याओं, रोजगार, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे मसलों को प्रमुख चुनावी एजेंडा बनाएगा।
इधर, छोटे दलों ने भी महागठबंधन के भीतर अपनी सीटों का दायरा बढ़ाने की मांग रखी है। विशेषकर वीआईपी और अन्य सहयोगी दलों ने अपेक्षा से अधिक सीटों पर दावेदारी जताई है। इन मांगों को देखते हुए राजद और कांग्रेस को पुराने समीकरणों में बदलाव करना पड़ सकता है। इस वजह से अंतिम सीट बंटवारे पर अभी सहमति बनने में समय लग रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस का यह कदम एक रणनीतिक चाल भी है। जल्दी उम्मीदवार तय करने से वह न केवल अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर पाएगी, बल्कि सीट-बंटवारे की बातचीत में दबाव की स्थिति भी बना सकेगी।
सूत्रों के मुताबिक अब सीट बंटवारे की वार्ता अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और जल्द ही महागठबंधन की ओर से सीटों का आधिकारिक ऐलान किया जा सकता है। कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि उसका मकसद गठबंधन की एकजुटता बनाए रखना है, लेकिन अपने जनाधार को मजबूत करना भी उतना ही जरूरी है। यही कारण है कि पार्टी ने समय रहते तैयारी शुरू कर दी है।
