बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) में सीट बंटवारे का विवाद गहराता जा रहा है। आरजेडी और कांग्रेस के बीच समझौते की कोशिशें फिलहाल अटकी हुई हैं और अब स्थिति ऐसी बन गई है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को खुद दखल देना पड़ा है। तेजस्वी यादव ने हाल ही में अपने बयानों में यह साफ संकेत दिया कि उनकी पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से हर सीट पर संगठन तैयार रखने को कहा, जिससे यह संदेश गया कि आरजेडी सीटों पर समझौता करने के मूड में नहीं है।
दूसरी ओर कांग्रेस का रुख भी पहले से कहीं ज्यादा सख्त है। राहुल गांधी की हालिया यात्राओं और अभियानों से उत्साहित कांग्रेस इस बार लगभग 70 सीटों की मांग कर रही है। हालांकि 2020 के चुनाव में कांग्रेस को इस स्तर की सीटों पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, लेकिन पार्टी इस बार अपनी दावेदारी से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। यही वजह है कि वार्ता लगातार खिंचती जा रही है।
इसी बीच खबरें हैं कि लालू प्रसाद यादव ने इस मसले में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कांग्रेस से पहले उम्मीदवारों की सूची सौंपने को कहा है ताकि अंतिम दौर की बातचीत में साफ तस्वीर सामने आ सके। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू के सक्रिय होने से सीट बंटवारे की दिशा तय हो सकती है, हालांकि इससे महागठबंधन के भीतर असंतोष भी गहराने की आशंका है।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच सार्वजनिक मंचों पर दोस्ताना रिश्ते नजर आते रहे हैं। राहुल की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में भी दोनों नेताओं ने एकजुटता का संदेश दिया था, लेकिन सीट बंटवारे के मामले में दोनों के बीच रणनीतिक मतभेद साफ झलक रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों ही दल अपने राजनीतिक आधार और क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से सीटों की संख्या तय करना चाहते हैं।
राजनीतिक हलकों का मानना है कि यदि आरजेडी और कांग्रेस अपने-अपने रुख पर कायम रहे, तो महागठबंधन के भीतर दरार गहरी हो सकती है। हालांकि लालू प्रसाद यादव के हस्तक्षेप से उम्मीद जताई जा रही है कि आख़िरी दौर की बातचीत में कोई साझा फार्मूला निकल आएगा। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिल्ली या वर्चुअल माध्यम से बैठक आयोजित होगी, जिसके बाद सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान संभव है।
