भारत-भूटान रिश्तों में नई ऊर्जा: मोदी के दौरे में 1,020 मेगावाट परियोजना को मिली हरी झंडी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे को सफलतापूर्वक पूरा कर बुधवार को थिम्पू से दिल्ली के लिए प्रस्थान किया। इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के राजा जिगमे खेसर नामग्येल वांगचुक और प्रधानमंत्री से मुलाकात की तथा दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और गहरे संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की। इस बैठक में द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग, व्यापार, कनेक्टिविटी और तकनीकी विकास को लेकर कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी।

दौरे का सबसे प्रमुख आकर्षण 1,020 मेगावाट क्षमता वाले पुनत्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना (Punatsangchhu-II Hydropower Project) का उद्घाटन था, जो भारत-भूटान साझेदारी का प्रतीक माना जा रहा है। इस परियोजना के शुरू होने से भूटान की ऊर्जा क्षमता में बड़ी वृद्धि होगी और देश अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद अतिरिक्त बिजली भारत को निर्यात करेगा। इससे न केवल भूटान की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को भी नया आयाम मिलेगा।

भूटान के विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग ₹4,000 करोड़ रुपये (लगभग 455 मिलियन डॉलर) की रियायती ऋण सहायता (Concessional Line of Credit) की घोषणा की। यह राशि भूटान की ऊर्जा, आधारभूत ढांचा और सामाजिक विकास परियोजनाओं में उपयोग की जाएगी। भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना का भी समर्थन करने का आश्वासन दिया है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक और सामाजिक संबंध और मजबूत होंगे।

दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को लेकर भी अहम चर्चा हुई। भारत ने भूटान के गेलेफू (Gelephu) और सैमतसे (Samtse) जैसे इलाकों को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने की संभावनाओं पर सहमति जताई। साथ ही, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नई परियोजनाओं पर भी विचार हुआ। ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों के सहयोग को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया, जिससे आने वाले वर्षों में नई जलविद्युत परियोजनाओं और हरित ऊर्जा निवेश को गति मिल सकेगी।

थिम्पू हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी को भूटान के राजा जिगमे खेसर नामग्येल वांगचुक ने ससम्मान विदा किया। दोनों नेताओं के बीच इस दौरान सौहार्द और आत्मीयता का माहौल देखने को मिला, जो भारत-भूटान की गहरी मित्रता और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को भारत-भूटान संबंधों के नए युग की शुरुआत माना जा रहा है, जिसने क्षेत्रीय स्थिरता, हरित ऊर्जा साझेदारी और विकास सहयोग को और मजबूती दी है।

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