तेजस्वी यादव का वार: “चुनाव आयोग आंकड़े क्यों छिपा रहा है?”— अमित शाह के बयानों पर भी पलटवार

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पटना, 10 नवंबर 2025 — बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीति का माहौल लगातार गरमाता जा रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। तेजस्वी ने कहा कि पहले चरण के मतदान के बाद आयोग ने अब तक पुरुष और महिला मतदाताओं के मतदान का प्रतिशत जारी नहीं किया है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से तुरंत इस संबंध में स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की। तेजस्वी ने कहा कि जब मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, तब ऐसी जानकारी छिपाना जनता के अधिकार का हनन है और इससे मतदाताओं के मन में अविश्वास पैदा होता है।

तेजस्वी यादव ने अपने बयान में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा नेतृत्व पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र के नेता बिहार के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं और राज्य की राजनीति में बाहरी हस्तक्षेप बढ़ा रहे हैं। तेजस्वी ने कहा कि बिहार की जनता किसी बाहरी प्रभाव में नहीं आने वाली और इस चुनाव में प्रदेश का स्वाभिमान दांव पर लगा है। उनका कहना था कि भाजपा नेता बिहार को सिर्फ “कब्जे की राजनीति” से देख रहे हैं, जबकि महागठबंधन विकास और बेरोज़गारी के मुद्दों पर चुनाव लड़ रहा है।

इसी बीच, गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी रैलियों में राजद और महागठबंधन पर तीखे हमले किए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष बिहार को फिर से पिछड़ेपन की ओर ले जाना चाहता है, जबकि एनडीए सरकार विकास और सुशासन की प्रतीक है। अमित शाह ने दावा किया कि एनडीए भारी बहुमत से सरकार बनाएगा। वहीं, तेजस्वी यादव का कहना है कि जनता अब महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से तंग आ चुकी है और बदलाव चाहती है।

चुनाव आयोग की भूमिका पर उठे सवालों के बाद अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आयोग मतदाता-संबंधी आंकड़े कब जारी करता है। तेजस्वी ने दोहराया कि यदि चुनाव आयोग मतदान से जुड़े विस्तृत आंकड़े जल्द जारी कर देता है, तो जनता का भरोसा बढ़ेगा और पारदर्शिता कायम रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव से मुक्त रहकर काम करना चाहिए।

बिहार चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले इस बयानबाज़ी ने माहौल को और गर्मा दिया है। एक ओर भाजपा और एनडीए विकास और स्थिरता के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव और महागठबंधन जनता से बेरोज़गारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक पारदर्शिता के नाम पर समर्थन मांग रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग और राजनीतिक दल इस विवाद को किस दिशा में ले जाते हैं।

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