फलौदी हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: NHAI और राजस्थान सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी

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राजस्थान के जोधपुर जिले के फलौदी क्षेत्र में भारतमाला हाइवे पर हुए दर्दनाक सड़क हादसे में 15 श्रद्धालुओं की मौत के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और राजस्थान सरकार से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने इस घटना को जनहित का गंभीर मामला बताते हुए सड़क सुरक्षा के मानकों और सरकारी लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।

जानकारी के अनुसार, यह भयावह हादसा 2 नवंबर 2025 को फलौदी के पास मतोड़ा गांव के निकट हुआ था। श्रद्धालुओं से भरा एक टेंपो ट्रैवलर भारतमाला हाइवे पर खड़े एक ट्रक या ट्रेलर से जा टकराया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि मौके पर ही कई लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य शुरू करते हुए घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि टेंपो चालक ने अचानक सामने खड़े भारी वाहन को देखकर नियंत्रण खो दिया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।

रिपोर्टों के मुताबिक मृतकों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। हादसे में 15 श्रद्धालुओं की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो की हालत नाजुक बताई जा रही है। इस घटना से क्षेत्र में मातम का माहौल फैल गया है। कई परिवारों ने अपने परिजनों को एक साथ खो दिया, जिससे गांवों में गहरा शोक व्याप्त है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस हादसे पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि राजमार्गों पर अनधिकृत पार्किंग, ढाबों और ट्रकों के अवैध रूप से खड़े रहने के कारण बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। कोर्ट ने NHAI, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और राजस्थान सरकार को निर्देश दिया है कि वे सड़क की डिजाइन, सुरक्षा प्रबंध, पार्किंग व्यवस्था और हादसे के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अदालत ने यह भी कहा कि भारतमाला जैसी परियोजनाओं पर भारी खर्च के बावजूद सड़क सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो चिंता का विषय है।

न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ इस मामले की निगरानी कर रही है। अदालत ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि हादसे के समय राहत और बचाव कार्य कितनी तेजी से किया गया और क्या हाईवे पर पर्याप्त चेतावनी संकेतक मौजूद थे। सुनवाई की अगली तारीख 10 नवंबर 2025 तय की गई है।

यह घटना एक बार फिर देश में सड़क सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मांगी गई रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि क्या यह हादसा केवल चालक की गलती थी या फिर सड़क डिजाइन और प्रशासनिक लापरवाही ने इसे और भयावह बना दिया। अदालत की सख्ती के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में हाईवे सुरक्षा पर ठोस कदम उठाए जाएंगे ताकि ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो।

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