कनाडा में भारतीय छात्रों के वीज़ा आवेदनों और उनकी स्वीकृतियों में हाल के महीनों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। 2025 की ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, अगस्त माह तक भारतीय छात्रों के स्टडी वीज़ा आवेदन की अस्वीकृति दर लगभग 70 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। यह दर 2023 की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। कनाडा के इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज़ एंड सिटिजनशिप (IRCC) विभाग के आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में आवेदनों की संख्या में भी भारी कमी आई है। 2023 में जहाँ लाखों भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई के लिए आवेदन कर रहे थे, वहीं 2025 तक यह संख्या घटकर कुछ हज़ार तक सिमट गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। सबसे बड़ा कारण 2023-24 में सामने आए फर्जी या धोखाधड़ी वाले दस्तावेज़ हैं, जिनमें कई छात्रों ने नकली कॉलेज एडमिशन लेटर या गलत वित्तीय प्रमाण जमा किए थे। इन मामलों के बाद कनाडा सरकार ने वीज़ा जांच प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक सख्त बना दिया। अब प्रत्येक दस्तावेज़ की गहराई से जांच होती है और वित्तीय स्थिति के प्रमाण की वैधता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके साथ ही भारत-कनाडा के बीच हाल के कूटनीतिक तनावों ने भी वीज़ा प्रक्रिया को धीमा और जटिल बना दिया है।
IRCC की रिपोर्ट के अनुसार, आवेदनों की भारी संख्या और बढ़ते बैकलॉग ने भी प्रोसेसिंग टाइम को प्रभावित किया है। कई आवेदन लंबे समय तक लंबित रहते हैं, जिससे अतिरिक्त जांच और दस्तावेज़ सत्यापन की आवश्यकता बढ़ जाती है। नतीजतन, जिन आवेदनों में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता पाई जाती है, वे तुरंत अस्वीकार कर दिए जाते हैं।
कनाडा के कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने यह स्वीकार किया है कि भारतीय छात्रों की संख्या में आई कमी का सीधा असर उनके शैक्षणिक कार्यक्रमों और वित्तीय स्थिति पर पड़ा है। भारतीय छात्र कनाडा के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा योगदान देते थे, लेकिन अब इनकी घटती संख्या से संस्थानों को अन्य देशों से छात्रों को आकर्षित करने की रणनीति बनानी पड़ रही है। वहीं भारतीय छात्र अब जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे विकल्पों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं।
वहीं वीज़ा अस्वीकृति के प्रमुख कारणों में अधिकारियों द्वारा छात्रों के ‘अस्थायी इरादे’ (temporary intent) पर संदेह, वित्तीय दस्तावेज़ों की कमी या अस्पष्टता, कॉलेज के सत्यापन में त्रुटियाँ और आवेदन में गलत जानकारी शामिल हैं। कई मामलों में अधिकारी यह मान लेते हैं कि छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा नहीं छोड़ेंगे, जिससे उनका आवेदन अस्वीकार हो जाता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कनाडा जाने की तैयारी करने वाले छात्रों को अपने सभी दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए। कॉलेज का DLI (Designated Learning Institution) नंबर, एडमिशन लेटर और बैंक स्टेटमेंट्स सही और अद्यतन होने चाहिए। साथ ही, पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने की स्पष्ट योजना आवेदन में दिखाना भी वीज़ा स्वीकृति की संभावना बढ़ा सकता है।
कुल मिलाकर, कनाडा में भारतीय छात्रों के वीज़ा आवेदनों में गिरावट केवल सख्ती का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें फर्जीवाड़े की रोकथाम, नीति परिवर्तन और प्रशासनिक पारदर्शिता शामिल है। कनाडा सरकार और शैक्षणिक संस्थान दोनों ही अब ऐसा संतुलन खोजने की कोशिश में हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और सुरक्षा बनी रहे, लेकिन साथ ही योग्य और वास्तविक छात्रों को मौका भी मिलता रहे।













