पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ भारत को एक बड़ी कानूनी सफलता मिली है। बेल्जियम के अंटवर्प की अपील अदालत (Antwerp Court of Appeal) ने 22 अक्टूबर 2025 को दिए अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत की याचिका पर कार्रवाई आगे बढ़ सकती है। अदालत ने माना कि जिन आरोपों के आधार पर भारत ने प्रत्यर्पण मांगा है, वे अपराध बेल्जियम के कानून में भी दंडनीय हैं। इस फैसले से भारत को चोकसी को वापस लाने की दिशा में एक अहम बढ़त मिली है।
मेहुल चोकसी ने अदालत में यह तर्क दिया था कि भारत में उनके खिलाफ राजनीतिक प्रताड़ना की जा रही है और प्रत्यर्पण के बाद उन्हें अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ चल रहा मुकदमा निष्पक्ष नहीं है और भारत भेजे जाने पर उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। हालांकि, बेल्जियम अदालत ने इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि चोकसी के पक्ष में पेश किए गए साक्ष्य इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत द्वारा लगाए गए आरोप वित्तीय अपराध की श्रेणी में आते हैं, जो बेल्जियम कानून के तहत भी दंडनीय हैं, इसलिए प्रत्यर्पण पर कानूनी रोक नहीं लगाई जा सकती।
अदालत के इस फैसले से भारत सरकार को बड़ा संबल मिला है। भारत की ओर से पेश दस्तावेज़ों में यह स्पष्ट किया गया था कि प्रत्यर्पण के बाद चोकसी के साथ सभी कानूनी प्रक्रियाएं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के तहत होंगी। भारत ने अदालत को मुंबई की आर्थर रोड जेल में उपलब्ध सुविधाओं और सुरक्षा उपायों के बारे में भी जानकारी दी थी, ताकि यह साबित किया जा सके कि चोकसी को किसी भी प्रकार के अमानवीय व्यवहार का सामना नहीं करना पड़ेगा। अदालत ने इन सबूतों को पर्याप्त मानते हुए भारत की मंशा पर भरोसा जताया है।
गौरतलब है कि मेहुल चोकसी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में करीब 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इस घोटाले में उनके भांजे नीरव मोदी का भी नाम शामिल है। चोकसी 2018 में भारत से भागकर पहले एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले चुके थे। बाद में वे बेल्जियम में रहने लगे। भारत की जांच एजेंसियां उनके खिलाफ लगातार कानूनी प्रयास कर रही थीं ताकि उन्हें वापस लाया जा सके और अदालत में पेश किया जा सके।
बेल्जियम अदालत का यह फैसला अंतिम नहीं है, लेकिन यह भारत के लिए कानूनी प्रक्रिया में एक बड़ा कदम साबित हुआ है। अब इस मामले में आगे बेल्जियम की सरकार को औपचारिक प्रक्रिया पूरी करनी होगी। यदि प्रशासनिक स्तर पर स्वीकृति मिलती है, तो चोकसी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। हालांकि, चोकसी के वकीलों ने संकेत दिया है कि वे इस आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं। इसके बावजूद इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी उपलब्धि माना जा रहा है।
इस पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराधों पर बढ़ती वैश्विक सख्ती के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है। बेल्जियम की अदालत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आर्थिक अपराधों और बैंक धोखाधड़ी के मामलों में न्याय से बचना आसान नहीं होगा। भारत ने लगातार अपने राजनयिक और कानूनी चैनलों के ज़रिए इस केस को आगे बढ़ाया, और अब अदालत के इस फैसले ने उस प्रयास को वैधता और दिशा दी है।
कुल मिलाकर, बेल्जियम अदालत का यह निर्णय भारत की जांच एजेंसियों के लिए राहत लेकर आया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले हफ्तों में बेल्जियम सरकार इस आदेश पर कैसी कार्रवाई करती है और क्या वाकई मेहुल चोकसी को भारत लाकर अदालत में पेश किया जा सकेगा। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत के इतिहास में आर्थिक अपराधियों के खिलाफ सबसे बड़ी कानूनी जीतों में से एक होगी।













