विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने प्रथम अध्यक्ष श्री वीर विठ्ठलभाई झवेरीभाई पटेल की पुण्यतिथि पर अर्पित किए पुष्पांजलि सुमन

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विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने आज दिल्ली विधान सभा परिसर में भारत के प्रथम केन्द्रीय विधान सभा अध्यक्ष, स्व. श्री वीर विठ्ठलभाई झवेरीभाई पटेल (1873–1933) की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “विठ्ठलभाई पटेल का दृष्टिकोण प्रतिनिधित्व को उत्तरदायित्व में बदलने वाला था , उन्होंने सिद्ध किया कि साहस, विवेक और विश्वास ही लोकतंत्र के सच्चे स्तंभ हैं।” विधानसभा के माननीय उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्री गुप्ता ने बताया कि श्री विठ्ठलभाई पटेल का निधन 22 अक्तूबर 1933 को जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में हुआ था। उनके पार्थिव शरीर को एस.एस. नारकुंडा नामक जहाज से भारत लाया गया था, जो 10 नवम्बर 1933 को बंबई पहुँचा। उन्होंने कहा कि यद्यपि श्री पटेल ने अपनी अंतिम इच्छा के अनुसार अपनी अंत्येष्टि चौपाटी समुद्र तट पर करने की अभिलाषा व्यक्त की थी, परंतु ब्रिटिश सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी। अंततः उनका अंतिम संस्कार सोनापुर श्मशान घाट पर किया गया। माननीय अध्यक्ष ने इस प्रसंग को “एक देशभक्त की उस अमर भावना का प्रतीक” बताया, जो मृत्यु के पश्चात भी अपनी मातृभूमि से आत्मिक रूप से जुड़ा रहा।

श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री गुप्ता ने श्री पटेल के सार्वजनिक जीवन को भारत की संसदीय परंपरा के प्रारंभिक स्थापकों में एक बताया। उन्होंने कहा कि पटेल जी की यात्रा, बंबई नगर निगम के मेयर (1923–1925) से लेकर केन्द्रीय विधान सभा के अध्यक्ष (1925) बनने तक, भारत की लोकतांत्रिक चेतना के उत्कर्ष का प्रतीक रही। यह यात्रा स्थानीय प्रशासन से राष्ट्रीय नेतृत्व तक भारत के राजनीतिक आत्मबोध के विकास की कहानी कहती है।

श्री गुप्ता ने कहा कि 1925 से 1930 तक केन्द्रीय विधान सभा के प्रथम भारतीय अध्यक्ष के रूप में विठ्ठलभाई पटेल ने अध्यक्ष पद को निष्पक्षता, स्वतंत्रता और संवैधानिक गरिमा का प्रतीक बना दिया। उन्होंने कहा कि श्री पटेल द्वारा अपनाई गई न्यायप्रियता, प्रक्रिया की शुचिता और विधान स्वतंत्रता की भावना आज भी भारत के संसदीय लोकतंत्र का नैतिक और संस्थागत आधार है।

माननीय अध्यक्ष ने कहा कि विठ्ठलभाई पटेल की दूरदर्शिता और निष्ठा ने विधायी शासन को नैतिक मूल्यों पर आधारित जनसेवा का माध्यम बना दिया। उन्होंने कहा कि श्री पटेल के नेतृत्व ने भारत की राजनीतिक आत्मा को पराधीनता से स्वशासन की ओर, आज्ञापालन से अंतरात्मा की आवाज़ की ओर परिवर्तित किया।

श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली विधान सभा आज भी विठ्ठलभाई पटेल के उन लोकतांत्रिक आदर्शों से प्रेरणा लेती है, जो बताते हैं कि सशक्त लोकतंत्र संवाद, अनुशासन और कर्तव्य की नींव पर खड़ा होता है। उन्होंने कहा कि “विठ्ठलभाई पटेल को श्रद्धांजलि देना दरअसल उस नैतिक साहस को नमन करना है जो संसदीय जीवन को अर्थ प्रदान करता है, जहाँ जनता की सेवा सभी व्यक्तिगत या राजनीतिक विचारों से ऊपर होती है।”

अंत में श्री गुप्ता ने कहा कि विठ्ठलभाई पटेल का नेतृत्व आने वाली पीढ़ियों के विधायकों को निरंतर प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का पद केवल अधिकार का नहीं, बल्कि संविधान का एक पवित्र दायित्व है , जिसे निष्पक्षता, विनम्रता और नैतिक शक्ति के साथ निभाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली विधान सभा पटेलजी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नागरिक शिक्षा और संसदीय धरोहर संरक्षण से जुड़े उपक्रमों के माध्यम से उनकी स्मृति को जीवंत बनाए रखेगी।

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