पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब मुर्शिदाबाद जिले के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई उस घोषणा के बाद हुई, जिसमें कबीर ने अपने क्षेत्र में एक ऐसी मस्जिद के निर्माण की बात कही थी, जिसे उन्होंने “बाबरी मस्जिद की प्रतिकृति” बताया। उन्होंने 6 दिसंबर को शिलान्यास समारोह आयोजित करने का ऐलान किया था, जो ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील तारीख मानी जाती है। कबीर के इस बयान के बाद स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ गई, क्योंकि उसी दिन क्षेत्र में राम मंदिर समर्थक संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने की भी चर्चाएँ थीं, जिससे संभावित टकराव या तनाव का खतरा बढ़ सकता था।
टीएमसी नेतृत्व ने हुमायूं कबीर के कदम को खुले तौर पर “गंभीर अनुशासनहीनता” बताया और कहा कि ऐसे बयान और कार्यक्रम राज्य की शांति व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। पार्टी ने कहा कि विधायक ने बिना किसी परामर्श और पार्टी नीति के विपरीत जाकर ऐसा कदम उठाया, जिसे किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता। खबरों के अनुसार, कबीर ने प्रशासनिक अधिकारियों को चेतावनी भरे अंदाज में निर्देश न मानने पर सड़कें जाम करने जैसी बात भी कही थी, जिससे मामला और ज्यादा गंभीर हो गया। निलंबन के तुरंत बाद कबीर ने पत्रकारों से बातचीत में नई पार्टी बनाने का संकेत दिया और कहा कि वे अपने समर्थकों के साथ मिलकर आगे का रास्ता तय करेंगे। उनके इस बयान से मुर्शिदाबाद सहित कई क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरणों के बदलने की संभावनाएँ तेज हो गई हैं।
वर्तमान में जिला प्रशासन ने 6 दिसंबर से पहले क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी है और किसी भी संभावित धार्मिक या राजनीतिक तनाव से निपटने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है। वहीं टीएमसी ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी किसी भी ऐसे कदम का समर्थन नहीं कर सकती जो सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करे। दूसरी ओर, हुमायूं कबीर अपने रुख पर कायम हैं और मस्जिद निर्माण के अपने घोषणापत्र को “धार्मिक अधिकार” बताते हुए इसे आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं। घटना ने राज्य में धर्म आधारित राजनीति और अनुशासनहीनता के बीच संतुलन पर नई बहस छेड़ दी है।













