रेवंत रेड्डी का बयान बना नया विवाद, भाजपा का आरोप— कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी हाल ही में एक राजनीतिक कार्यक्रम में दिए गए अपने कथन को लेकर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने हिंदू धर्म की विविधता और अनेक आस्थाओं से जुड़े उदाहरण देते हुए कुछ ऐसी टिप्पणियाँ कर दीं, जिन्हें कई समूहों और राजनीतिक पार्टियों ने धार्मिक भावनाओं का अपमान माना। मुख्यमंत्री ने यह तर्क रखा था कि हिंदू समाज में अलग-अलग समुदाय अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार देवताओं को पूजते हैं, लेकिन इस संदर्भ में दिए गए कुछ टिप्पणियों—जैसे हनुमान को अविवाहितों का देवता बताने और अन्य व्यवहारों के लिए अलग देवी-देवताओं का उदाहरण देने—पर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। उनके बयान का वीडियो तेजी से वायरल हुआ और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।

मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर हिंदुओं के प्रति ‘नफरत’ का आरोप लगाया। भाजपा नेताओं ने कहा कि संवेदनशील धार्मिक विषयों पर मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की भाषा का उपयोग निंदनीय है और इससे करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएँ आहत हुई हैं। पार्टी ने रेवंत रेड्डी से तत्काल सार्वजनिक माफी की मांग की और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व लगातार हिंदू आस्था को निशाना बनाता रहा है। भाजपा के साथ-साथ बीआरएस सहित कई विपक्षी दलों ने भी बयान की निंदा करते हुए इसे जानबूझकर किया गया ‘अपमान’ बताया।

हालाँकि रेवंत रेड्डी के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री का उद्देश्य किसी धर्म पर टिप्पणी करना नहीं था, बल्कि वे राजनीतिक उदाहरण देते हुए विविधता की अवधारणा समझा रहे थे। लेकिन उनके द्वारा चुने गए शब्दों और उदाहरणों ने विवाद को जन्म दे दिया। फिलहाल कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक माफी या विस्तृत स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, जिसके चलते विपक्ष का हमला और तेज हो गया है। भाजपा इस मुद्दे को व्यापक राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बना रही है और इसे राज्य में बढ़ते ‘धार्मिक असंतोष’ से जोड़कर प्रस्तुत कर रही है।

विवाद गहराने के साथ राज्य की राजनीति में गर्माहट बढ़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले समय में और बड़ा रूप ले सकता है, क्योंकि धार्मिक भावनाओं से जुड़े विवाद चुनावी परिदृश्य में अक्सर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। अभी तक इस मामले में किसी कानूनी कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ऑनलाइन शिकायतें और विरोध दर्ज होने की खबरें सामने आती रही हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण को नया आयाम दिया है और अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि मुख्यमंत्री इस विवाद पर आगे क्या कदम उठाते हैं।

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