संसद सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी का संदेश, विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभाने की अपील

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नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू हो गया है और यह 19 दिसंबर तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से पहले रविवार, 30 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के साथ सर्वदलीय बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने विपक्ष को स्पष्ट संदेश दिया कि संसद कोई प्रदर्शन का मंच नहीं है, बल्कि यह देश की जनता को विकास और सुधार देने का माध्यम है। पीएम मोदी ने कहा, “यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद में बेबुनियाद हंगामा या राजनीतिक नारेबाज़ी की बजाय काम, सुधार और देशहित की बातें होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से यह भी कहा कि हालिया चुनाव परिणामों से उत्पन्न निराशा संसद में गतिरोध का कारण नहीं बननी चाहिए। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे इस निराशा को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा मानें और इसे सुधार व विकास के अवसर के रूप में इस्तेमाल करें। उनका यह बयान नई पीढ़ी के सांसदों को सीखने और काम करने का अवसर देने की दिशा में भी संकेत था। उन्होंने कहा कि हंगामा और ड्रामा नए सांसदों के लिए गलत संदेश देगा और संसद की गरिमा को प्रभावित करेगा।

सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने मतदाता सूची सुधार (SIR), दिल्ली में हालिया ब्लास्ट, महंगाई, बेरोजगारी, प्रदूषण और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की। सरकार ने कहा कि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी, लेकिन इसके लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा और जिम्मेदारी के साथ मुद्दों को उठाना होगा। वहीं विपक्ष ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे सत्र की कार्यवाही में टकराव की संभावना बढ़ा सकते हैं।

शीतकालीन सत्र में सरकार कई अहम विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिसमें परमाणु ऊर्जा और अन्य विकास से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि यदि विपक्ष रचनात्मक रूप से सहयोग करे, तो जनता को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने सभी सांसदों से अपील की कि वे राजनीति के बजाय देशहित को प्राथमिकता दें और इस सत्र को परिणाममुखी बनाने में योगदान दें।

इस प्रकार, संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को स्पष्ट संदेश दिया कि राजनीतिक ड्रामा की बजाय ठोस काम और विकास पर ध्यान दिया जाए। उनका उद्देश्य था कि संसद का माहौल रचनात्मक, लोकतांत्रिक और विकास-केंद्रित बने, ताकि देश की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरा जा सके।

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