दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर रूप ले चुकी है। राजधानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँच गया है, जिससे आम नागरिकों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। विशेषकर बच्चे, बुजुर्ग और फेफड़ों या हृदय रोग से पीड़ित लोग इसके प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित हैं। इस बढ़ते संकट के बीच नागरिक और पर्यावरण कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि साल दर साल दिल्ली की हवा जहरीली होती जा रही है, लेकिन बीजेपी सरकारें बस बहाने बदलती रहती हैं। उनका कहना है कि अब बहाने नहीं, जनता को साफ हवा चाहिए। उन्होंने इसे केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं बल्कि एक “जन स्वास्थ्य संकट” बताया और सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने दिल्ली पुलिस और प्रशासन पर भी यह आरोप लगाया कि प्रदूषण विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को अपराधी मानकर हिरासत में लिया जा रहा है, जबकि असली समस्या का समाधान होना चाहिए।
राहुल गांधी ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया और पूछा कि जब राजधानी की हवा बच्चों और परिवारों के लिए खतरे में है, तब सरकार क्यों मौन है। उन्होंने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक सख्त और लागू‑योग्य कार्रवाई योजना की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं, दिल्ली सरकार का दावा है कि इस साल दिल्ली में पिछले दशक की सबसे स्वच्छ हवा रही है और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई उपाय लागू किए जा रहे हैं।
इस बीच राजधानी में सैकड़ों लोग इंडिया गेट पर प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी साफ हवा की मांग कर रहे हैं और सरकार से स्थायी नीति और ज़मीनी कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं। इस तरह, जनता और विपक्ष दोनों ही सरकार से तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं, ताकि दिल्ली‑एनसीआर की हवा को साफ किया जा सके और स्वास्थ्य संकट को रोका जा सके।












