सेना में समान अवसर: टेरिटोरियल आर्मी बटालियनों में महिलाओं की संभव शुरुआत

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भारतीय सेना ने टेरिटोरियल आर्मी में महिलाओं को शामिल करने की संभावना पर गंभीरतापूर्वक विचार करना शुरू कर दिया है। यह पहल सेना में लैंगिक समानता और महिला शक्ति के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। उपलब्ध रिपोर्टों के अनुसार, सेना इस प्रस्ताव को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू कर सकती है, जिसमें शुरुआती चरण में कुछ चुनिंदा बटालियनों में ही महिलाओं की भर्ती की जाएगी। इस सीमित दायरे वाले प्रोजेक्ट का उद्देश्य प्रशिक्षण, तैनाती, लॉजिस्टिक व्यवस्था और कार्यस्थल वातावरण से जुड़े सभी पहलुओं का मूल्यांकन करना होगा, ताकि आगे चलकर बड़े पैमाने पर इसका विस्तार किया जा सके।

टेरिटोरियल आर्मी की प्रकृति रिज़र्व फोर्स की है, जो नागरिक जीवन के साथ-साथ सेवा का अवसर प्रदान करती है। इसकी संरचना ऐसी होती है कि विभिन्न पेशों से जुड़े नागरिक विशेष परिस्थितियों में सेना की सहायता हेतु शामिल हो सकते हैं। इसी वजह से महिलाओं को इसमें शामिल करने का फैसला संवेदनशील और रणनीतिक दोनों प्रकार की चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। सेना यह सुनिश्चित करना चाहती है कि यदि महिलाओं को TA में मौका दिया जाता है, तो उनकी भूमिकाएँ, प्रशिक्षण प्रणाली और सुविधाएँ पूरी तरह सुरक्षित, उपयुक्त और प्रभावी हों।

पायलट प्रोजेक्ट की संभावित रूपरेखा इस तरह बनाई जा रही है कि चुनी गई बटालियनों में महिला कैडरों को सीमित दायरे में नियुक्त किया जाएगा। इस दौरान सेना यह आकलन करेगी कि महिलाओं की तैनाती से ऑपरेशनल जरूरतों, संसाधनों और प्रबंधन पर क्या प्रभाव पड़ता है। प्रशिक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक-व्यावहारिक जरूरतों के अनुरूप आवश्यक बदलावों का भी अध्ययन किया जाएगा। पायलट के सफल रहने पर इसे अन्य इकाइयों में विस्तारित करने पर विचार किया जाएगा, जिससे लंबे समय में महिलाओं के लिए अधिक अवसर पैदा हो सकें।

पिछले वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों ने विभिन्न शाखाओं में महिलाओं को शामिल कर अपनी नीति को अधिक समावेशी बनाया है। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ महिलाएं पहले से ही अहम भूमिकाएँ निभा रही हैं। अदालतों और प्रशासनिक निर्णयों के चलते महिलाओं के लिए भागीदारी के रास्ते लगातार खुले हैं। टेरिटोरियल आर्मी में व्यापक भर्ती अब इसी क्रम का अगला कदम माना जा रहा है, हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है।

सेना और रक्षा मंत्रालय की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई औपचारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं हुई है। जो भी जानकारी सामने आ रही है, वह रक्षा सूत्रों और मीडिया रिपोर्टों के हवाले से है। इसलिए अंतिम निर्णय आने वाली सरकारी अधिसूचनाओं पर निर्भर करेगा। इच्छुक महिलाओं और नागरिक उम्मीदवारों को आधिकारिक टेरिटोरियल आर्मी पोर्टल और सरकारी सूचनाओं पर नजर बनाए रखने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि किसी भी तरह की भर्ती या दिशानिर्देश का आधिकारिक विवरण वहीं जारी किया जाएगा।

इस संभावित पहल को व्यापक रूप से एक ऐतिहासिक अवसर माना जा रहा है, जो भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी के नए द्वार खोल सकता है। इससे न केवल सेना में विविधता और समावेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी यह संदेश जाएगा कि देश की रक्षा व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका को और अधिक सम्मान और विस्तार दिया जा रहा है। आने वाले समय में इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय और उसकी रूपरेखा यह तय करेगी कि नारी शक्ति की यह उड़ान कितनी दूर तक जाती है।

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