गुजरात के सूरत में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मतदाताओं को विशेष सम्मान देते हुए कहा कि इस बार वहाँ की जनता ने केवल राजनीति समझी नहीं बल्कि पूरी दुनिया को राजनीति समझाने की क्षमता दिखायी। उन्होंने बताया कि बिहार की जनता ने जातिगत विभाजन और नकारात्मक राजनीति को ठुकरा कर विकास-केन्द्रित संदेश का समर्थन किया है। उसी सभा में उन्होंने विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और महागठबंधन पर तीखा हमला करते हुए कहा कि इनका राजनीतिक रास्ता आज ‘नेगेटिव पॉलिटिक्स’ की ओर मुड़ गया है जहाँ वोटरों का ध्यान बांटने, अंतर्विभेद पैदा करने और जनता की असली उम्मीदों से भटकने की रणनीति अपनाई जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ दल-ने आदिवासी, पिछड़े और वंचित समुदायों की समस्याओं को नजरअंदाज किया है जबकि लोगों ने विकास, अवसर, शिक्षा और बेहतर जीवन की दिशा में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
सूरत में उन्होंने एक अहम बुनियादी ढांचा-परियोजना, यानी मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर से जुड़े सूरत स्टेशन के निर्माण का निरीक्षण भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं से न केवल क्षेत्र की कनेक्टिविटी सुधरेगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा, जिससे रोजगार और विकास का मार्ग खुलेगा। उनके भाषण में प्रवासी बिहारियों का योगदान भी सामने रखा गया, उन्होंने कहा कि जहाँ-जहाँ बिहार के लोग गए हैं वहाँ अपनी मेहनत, प्रतिभा और दृढ़ता के साथ पहचान बनाई है और यही वजह है कि आज बिहार के नागरिकों को ‘‘दुनिया को राजनीति समझाने वाला’’ बताना जायज़ है।
इस पूरे संबोधन का राजनीतिक संकेत बहुत स्पष्ट था — प्रधानमंत्री ने बिहार की हालिया चुनावी सफलता को सिर्फ एक राज्य-निर्णय के बजाय राष्ट्रीय स्तर की दिशा बदलने वाला चरण माना। उन्होंने कहा कि जब जनता विकास-केन्द्रित एजेंडा को स्वीकार करती है और विभाजन-भूत राजनीति को अस्वीकार करती है, तब राष्ट्र का रास्ता भी साफ होता है। सभा के अंत में उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण, सजग और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी अपेक्षाओं को व्यक्त करने का आग्रह किया, यह स्वीकार करते हुए कि भविष्य की राजनीति में सामूहिक भागीदारी और सकारात्मक सोच का प्रभुत्व होगा।












