बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ताज़ा रुझानों ने इस बार राजनीतिक माहौल को पूरी तरह बदल दिया है। मतगणना के शुरुआती चरण से ही यह साफ दिखने लगा कि राज्य में एनडीए ने मजबूती के साथ बढ़त बना ली है। कई सीटों पर निर्णायक अंतर के साथ आगे चल रहे उम्मीदवारों ने गठबंधन की स्थिति को बेहद मज़बूत बना दिया है। यही वजह है कि रुझानों की शुरुआती तस्वीर ने ही यह संकेत दे दिया कि बिहार की सत्ता में एनडीए एक बार फिर वापसी करने जा रहा है। इस बढ़त में बीजेपी की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है, जो गठबंधन के भीतर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। आंकड़ों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि पूरा जनादेश एनडीए के पक्ष में जा रहा है और बिहार की जनता ने इस बार केंद्र और राज्य की विकास-नीतियों पर भरोसा जताया है।
इन रुझानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया भी सामने आई, जिसमें उन्होंने इस जीत को जनता के विश्वास का प्रमाण बताया। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री ने लिखा कि बिहार के लोगों ने विकास, सुशासन और स्थिरता को चुनकर एनडीए को अभूतपूर्व जनसमर्थन दिया है। उन्होंने गठबंधन के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बधाई दी और खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि बिहार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह सकारात्मक राजनीति और विकास को प्राथमिकता देता है। उनके संदेश से साफ था कि यह परिणाम सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि एनडीए की नीतियों पर जनता की मुहर है।
राज्य के चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव में ‘डबल इंजन सरकार’ की अवधारणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयासों से चल रही योजनाओं, सड़क-इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में असर डाला। यही कारण है कि कई सीटों पर सत्ता-विरोधी माहौल दिखने के बजाय, जनता ने स्थिरता और निरंतरता को अहमियत दी। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर गठबंधन दलों — लोजपा, हम और रालोसपा — के वोट बैंक ने भी निर्णायक असर छोड़ा, जिसने एनडीए के प्रदर्शन को और मजबूत किया। राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे बिहार की राजनीति में एक नए संतुलन की ओर इशारा मान रहे हैं।
उधर, रुझानों में पिछड़ता दिख रहा महागठबंधन इस परिणाम से असंतुष्ट नजर आया। कई विपक्षी नेताओं ने मतगणना प्रक्रिया और परिणामों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने चुनाव आयोग से मतगणना की पारदर्शिता बढ़ाने और ईवीएम की जांच की मांग की। चुनावी माहौल में आरोप-प्रत्यारोप जारी रहे, लेकिन इसके बावजूद एनडीए के समर्थकों में जश्न का माहौल बना रहा। कई जिलों में पार्टी कार्यालयों में कार्यकर्ताओं ने ढोल और पटाखों के साथ खुशी मनाई। इन जश्नों से साफ था कि गठबंधन समर्थक राज्य की सत्ता में एक स्थिर सरकार को लेकर उत्साहित हैं।
बिहार के इस बड़े जनादेश को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं रहेगा। राष्ट्रीय स्तर पर भी यह चुनावी नतीजे भाजपा और एनडीए की रणनीति को नई ऊर्जा देंगे। यह परिणाम आगामी लोकसभा चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। एनडीए, विशेषकर बीजेपी, इसे अपने बढ़ते जनाधार और संगठन क्षमता का परिणाम मान रही है। वहीं जानकारों का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार की ‘सुशासन’ वाली छवि और महिलाओं, युवा व ग्रामीण वोटरों के बीच उनकी पकड़ ने भी इस जनादेश को प्रभावित किया है।
अंततः, आधिकारिक परिणामों के आने तक तस्वीर में थोड़े बदलाव संभव हैं, लेकिन यह स्पष्ट दिख रहा है कि बिहार की जनता ने एनडीए के पक्ष में अपना मन बना लिया है। रुझानों की मौजूदा स्थिति यह संकेत दे रही है कि राज्य में एक बार फिर गठबंधन सरकार बनना तय है। अब बिहार की राजनीति नए समीकरणों, विकास योजनाओं और सुशासन की दिशा में आगे बढ़ने की ओर दिख रही है। चुनाव आयोग द्वारा अंतिम आंकड़े जारी होने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि विधानसभा में कौन-सी पार्टी किस स्थिति में है, लेकिन आज के माहौल ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में नई ऊर्जा और नई दिशा भर दी है।













